सीहोर की सीवन नदी का उद्धार जरुरी, पं. प्रदीप मिश्रा 9 अप्रेल को करेंगे श्रमदान
सिद्धपुर के लिए सराहनीय कदम..

सीहोर की सीवन नदी का उद्धार जरुरी, पं. प्रदीप मिश्रा 9 अप्रेल को करेंगे श्रमदान
सीहोर, 17 मार्च 2025
एमपी मीडिया पॉइंट
आगामी 9 अप्रेल को पंडित प्रदीप मिश्रा करेंगे सीवन नदी में श्रमदान,
सीवन का जीवन बचाने के लिए प्लान की जरूरत, गहरीकरण कर संवारें तो मिले पानी-अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा
नगर की जीवनदायिनी सीवन नदी को साफ-सुथरा रखने और इसे गहरा करने के लिए आज तक ठोस प्रयास नहीं हो सके। यही कारण है कि नदी की देखरेख सही ढंग से नहीं हो पा रही है। नदी के गहरीकरण के लिए पहले भी कई प्रयास किए गए। लेकिन कार्य में सिर्फ औपचारिकता ही दिखाई दी। यही वजह है कि आज तक सीवन का न तो गहरीकरण हो सका और न ही सौंदर्यीकरण। ऐसे में अब सीवन शहरवासियों से अपने अस्तित्व को बचाने की दरकार करते प्रतीत हो रही है। उक्त विचार जिला मुख्यालय स्थित कुबेरेश्वरधाम पर पहुंचे सीवन नदी के लिए जागरूकता लाने के लिए शहरवासियों के द्वारा बनाई मिशन निर्मल सतत नीरा सिद्धपुर की सीवन उद्धार समिति के लोगों से चर्चा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे।
इस मौके पर यहां उपस्थित वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एलएन नामदेव ने पंडित श्री मिश्रा को बताया कि सीवन का अस्तित्व खतरे में इसको लेकर आपके सहयोग की आवश्यकता है तो पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि आप लोग सीवन के गहरीकरण, सौंदर्यकरण और साफ-सफाई के लिए प्रयास करें मैं तन, मन और धन से इस अभियान में समिति के साथ हूं। इस मौके पर समिति के आह्वान पर पंडित श्री मिश्रा ने नौ अपै्रल को शहरवासियों के साथ श्रमदान करने की अपनी स्वीकृति प्रदान की।
इस मौके पर समिति से जुडे डॉ. गगन नामदेव ने कहा कि पंडित श्री मिश्रा के आदेश के बाद हमें जनप्रतिनिधियों के अलावा प्रशासन और शहरवासियों का साथ मिल गया है। जिससे आगामी दिनों में बारिश से पहले जनता के सहयोग के अलावा दो दर्जन से अधिक समाजेसवी संगठन, संस्था और समिति हमारें साथ कंधे-से-कंधा मिलकर सीवन के उत्थान के लिए कार्य कर रही है। हमारे पवित्र उद्देश्य का मतलब है सीवन को जीवन बचाना है। शहर के लोगों की जिंदगी से जुड़ी सीवन नदी लगातार अपनी जीवंतता खो रही है। साल दर साल बदहाल होती चली जा रही है। नगरीय क्षेत्र के करीब 8 किलोमीटर लंबे हिस्से से गुजरने वाली सीवन तटीय इलाकों के बड़े भाग का भू-जल स्तर बनाए रखती है।
सीवन शहर के लिए किसी वरदान से कम नहीं
सीवन नदी समिति से जुडे मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि शहर के बीच से गुजरी नदी आंखों को सुकून देने के साथ ही पानी की हमारी जरूरतों को पूरा करती है। इसके बावजूद हर साल बारिश के पानी के साथ आने वाली मिट्टी धीरे-धीरे गाद बनकर नदी की गहराई कम कर रही है। उथली होती नदी में जलभराव की मात्रा लगातार कम होती चली जा रही है लेकिन इसकी ओर प्रशासन, नगर पालिका और सबसे ज्यादा जरूरी शहर के लोगों का कोई ध्यान नजर नहीं आता। यदि लोग जागरूक हों, प्रशासन कोई विशेष योजना बनाकर काम करे और नगर पालिका इसका संरक्षण करे तो सीवन शहर के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। मानसूनी सीजन की कम होती बारिश को देखते हुए अब नदी का संरक्षण बहुत बड़ी जरूरत बन चुका है। ऐसा होने से एक लाख से अधिक शहरवासियों को कई तरह से फायदा मिलेगा। नदी को सदानीरा और सुंदर बनाने के लिए प्रशासन, नगर पालिका और लोगों को करना होंगे प्रयास
जानिए ऐसी है हमारी जीवनदायिनी सीवन-नगर में सीवन नदी सैकड़ाखेड़ी के पास स्थित फोरलेन बायपास पर बने पुल से शुरु होती है जो गणेश मंदिर के पास करबला पुल से होकर गुजरती है। यह नदी पार्वती नदी में जाकर मिलती है। सीवन नदी की नगरीय क्षेत्र में कुल लंबाई 8 किमी है। इस हिस्से में दोनों और सघन आबादी निवास करती है। नदी के ऊपर नगरीय क्षेत्र में 7 पुल हैं।
बदहाल हो चुके हैं घाट, उथली हो गई नदी-लगातार अनदेखी के चलते वर्तमान में महिला घाट पूरी तरह सूख चुका है। चद्दर पुल तक बहुत कम पानी बचा है। बकरी पुल के पास भी बहुत कम पानी है।
करीब 2000 निजी बोर, 35 हैंडपंप और कई कुएं होते हैं रिचार्ज : नदी में लबालब पानी भरा रहने से आसपास के जलस्रोत रिचार्ज होते हैं। जानकारों के मुताबिक नदी का जलस्तर बना रहने से करीब 2000 निजी बोर के अलावा 35 हैंडपंप और कई कुएं रिचार्ज होते हैं। प्रशासन को सीवन नदी की सूरत बदलने के लिए एक प्लान बनाना होगा। योजना से काम होने पर इसका कायाकल्प किया जा सकता है। हालांकि पहले भी कई बार सीवन के लिए काफी काम हुए हैं लेकिन सभी आधे-अधूरे हुए हैं।
अभी खत्म, बारिश के बाद जलकुंभी से पट जाती है नदी
सीवन की अनदेखी के चलते इस समय पूरी नदी जलकुंभी से पटी पड़ी है। पानी तो जैसे दिखाई ही नहीं देता है। कभी भी साफ-सफाई की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। घाटों की दुर्दशा होती चली गई और नदी कचरे से पट गई। पूरा पानी जलकुंभी से दूषित हो गया। इसके अलावा आस-पास का गंदा पानी इसमें दिखाई दे रहा है। कई स्थानों पर पानी पूरी तरह सूख गया और गंदगी की गाद जमा हो गई है। नदी का गहरीकरण और संरक्षण कराने में नगर पालिका की खास भूमिका हो सकती है। पहले कई बार नपा ने यह काम कराए लेकिन यह काफी नहीं थे। नदी संरक्षण के लिए बड़ी योजना बना कर काम करने की जरूरत है।
ये भी हो सकते हैं काम-नदी के गहरीकरण और सौंदर्यीकरण है बड़ी जरूरत। इसके बाद इस स्थान को इस उद्देश्य से संवारा जाए कि लोग नदी पर पहुंचें। पानी साफ होने पर वोटिंग भी शुरु कराई जा सकती है। नदी के घाटों की सफाई कराई जाती है। गहरीकरण का अभी कोई प्लान नहीं है।
आमजन की भागीदारी जरूरी-नदी के कायाकल्प के लिए लोगों की भागीदारी भी जरूरी है। इसके पूर्व भी लोगों ने नदी की साफ-सफाई हो या फिर गहरीकरण कई बार अपनी भागीदारी निभाई है। अब भी लोगों को आगे आना होगा और इसके लिए काम करना होगा। समाजसेवी मधुर विजयवर्गीय, दीपक शर्मा, प्रवीण तिवारी, जैन समाज के अध्यक्ष अजय जैन, का कहना है कि नदी संरक्षण के लिए शहर के लोग हमेशा तैयार हैं।
पेयजल स्रोत होंगे रिचार्ज-सीवन नदी में पानी रहने से आसपास के रहवासी क्षेत्र के पेयजल स्रोत रिचार्ज होते रहेंगे। समिति की ओर से आरएसएस के भारत सोनी, हिन्दू महापंचायत के दिनेश राजपूत, अग्रवाल समाज के पवन गुप्ता और समाजसेवी मनीष शर्मा ने कहाकि जब तक नदी में पानी रहता है तब तक हैंडपंपों और कुओं में पानी बना रहता है। सीवन नदी के सौंदर्यीकरण हो जाने के बाद यह काफी विकसित हो जाएगा। इससे इस मनोहारी स्थल पर लोग घूमने आ सकेंगे। अभी शहर में कोई भी ऐसा स्थल नहीं है जहां लोग जा सकें। नदी का कायाकल्प होने के कारण यहां पर कुछ लोगों को इसके रख रखाव के लिए रखा जा सकता है। इससे कई लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा। चौपाटी की योजना में कई लोग अपने स्टाल लगाकर कुछ रोजगार कर सकेंगे।