अलविदा रतन टाटा ….(मनीषा शाह)

हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पर रोती है,
बड़ी मुश्किल होता है चमन में दीदावर पैदा ।
मनीषा शाह
एमपी मीडिया पॉइंट
पाठक सहज ही समझ गए होंगे कि, इकबाल की इन पंक्तियों का इस्तेमाल आज किस संदर्भ में करने जा रही हूं।
इन पंक्तियों का अर्थ है कि नरगिस एक दुर्लभ फूल है जो अपनी स्वयं की खूबी से परिचित नहीं है।
हजारों सालों में कोई संसार में ऐसा दिदावर पैदा होता है जो नरगिस को उसकी खूबसूरती का आभास कराता है।
यहां नरगिस की खूबसूरती भारत एवं भारतीयों की क्षमता से और दिदावर को रतन टाटा से जोड़कर देख सकते हैं।
वैसे तो भारत ही नहीं पूरी दुनिया ही जानती है रतन टाटा की शख्सियत
लेकिन यह भी सत्य है कि जितना झूठ को दोहराया जाए वह सत्य लगने लगता है,
परंतु क्या हमें यह प्रयास नहीं करना चाहिए की सच्चाई को भी बार-बार दोहराया जाना चाहिए एवं मजबूती से सच्चाई का समर्थन करना चाहिए। इससे बेहतर क्या हो सकता है।
रतन टाटा जिसका जन्म स्वतंत्रता पूर्व 1937 में एक पारसी परिवार में हुआ था।
टाटा एक ऐसा उपनाम है जिसकी नीव स्वर्गीय जमशेदजी नुसरवानजी
टाटा ने टाटा समूह के संस्थापक के रूप में 1868 में रखी थी।
अपने दादाजी द्वारा स्थापित टाटा समूह की वैभवशाली विरासत को संभालते हुए रतन टाटा ने न केवल टाटा समूह को लेकिन साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था को भी आर्थिक रूप से ऊंचाइयों पर पहुंचाया ।
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने औद्योगिक क्षेत्र में प्रगतिशील एवं जनकल्याणकारी आर्थिक मॉडल को अपनाया।
टाटा वह नाम है जो हर घर में घर के चौकै में टाटा टेटली चाय अथवा टाटा नमक के रूप में पहचाना जाता है। महिलाओं के जेहन मे तनिष्क के रूप में ।
युवाओं के मन में टाटा कंसलटेंसी के नाम से और देश के आम नागरिकों की जुबान पर टाटा नैनो, टाटा मोटर्स, ताज होटल , क्रोमा, टाइटन के नाम से आता है।
बड़े उद्योगपतियों की जुबान पर जगुआर लैंड रोवर के नाम से
और मेडिकल के क्षेत्र में टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल के रूप में, शिक्षा के क्षेत्र में टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस के नाम से अपना स्थान बनाए हुए हैं।
इन सब उदाहरण से आप समझ ही गए होंगे की टाटा किस प्रकार हर उम्र, हर वर्ग के व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी प्रकार से जुड़ा हुआ है।
आज दैहिक रूप से रतन टाटा ने इस दुनिया को अलविदा कहा परंतु उनके द्वारा स्थापित प्रतिमान भारत के व्यावसायिक एवं औद्योगिक जगत को आर्थिक मजबूती प्रदान करते रहेंगे।
एक दूर दृष्टि व्यक्तित्व के धनी,
उद्योगपति, एक दार्शनिक, एक समाज हितेशी व्यक्ति,
और एक अद्भुत इंसान जो आज दैहिक रूप मे हमारे बीच नहीं है परंतु उनके महान व्यक्तित्व की अमिट छाप हमारे मन मस्तिष्क पर हमेशा रहेगी ,उन्हें मैं अपनी तरफ से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।
अंत में स्व.रतन टाटा द्वारा कही हुई इन पंक्तियों के साथ अपने शब्दों को विराम देता हूं जो आने वाली पीढियां को हमेशा हौसला प्रदान करती रहेगीं।
“”मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता, मैं फैसला लेता हूं और उन्हें सही साबित कर देता हूं।””