ढहती मानवता को केवल “ब्रह्म ज्ञान” ही बचा सकता है- आनंद. जी महाराज
तीन दिवसीय धार्मिक आयोजन का समापन

ढहती मानवता को केवल “ब्रह्म ज्ञान” ही बचा सकता है- आनंद. जी महाराज
तीन दिवासीय कथा का हुआ आज समापन
इछावर, 01 जून 2025
एमपी मीडिया पॉइंट
दिव्य ज्योति जागृती संस्थान शाखा भेरूंदा द्वारा तीन दिवसीय अध्यात्मिक सत्संग एवं भजन संकीर्तन श्रीराम मंदिर ग्राम गुराड़ी में प्रवचन के तृतीय दिवस मे स्वामी आशानंद जी ने बताया की आशितोष जी महाराज जी कहते हैं भारत ऋषियों का देश हैं ,भारत का पहचान मुंबई की चौपाटी से नहीं, भरत का पहचान दिल्ली के लाल किला से नहीं, भारत का पहचान आगरा के ताजमहल से भी नहीं, बल्कि भारत का पहचान अध्यात्म से है भारत का पहचान श्रीराम जी है।
आज कलयुगी मानसिकता ने अध्यात्म को अर्थात राम जी को अपने जीवन से दूर कर दिया है जिसके कारण आज मानव समाज मे लूट,ठगी, हिंसा,
चरित्र हीनता की दुर्गन्ध चहूँ दिशा से आ रही है।
मानवता दम तोड़ रही है,
और दम तोड़ती मानवता को अगर कोई बचा सकता है तो वो है “ब्रह्म ज्ञान”, लेकिन आज भारत भूमि पर शाश्वत और सनातन संस्कृति वेद, पुराण उपनिषद श्रीराम चरित्र मानस, श्रीमद् भागवत गीता को लोगों ने पठन पाठन छोड़ दिया, हवन पूजन वैदिक मंत्रो का उच्चारण छोड़ दिया हैं,
कई ऐसे लोग भी हैं जो अपने आपको भक्त और धार्मिक कहलाते हैं, लेकिन वो लोग कभी महापुरुषों का आरती वंदन, जन्म महोत्सव नहीं मानते यहाँ तक की अपने घर मे महापुरुषों का प्रतिमा भी नहीं लगाते, मै इन लोगों से प्रश्न पूछता हूं भारतीय संस्कृति को छोड़कर कौन से संस्कृति की स्थापना करना चाहते हैं।
भारत में कई ऐसे आश्रम भी है जहां आश्रमों में कोई भी महापुरुषों का जैसे श्रीराम जी का श्रीकृष्ण जी का भगवान शंकर जी का आदि गुरु शंकराचार्य जी का किसी भी महापुरुषों का प्रतिमा तक नहीं लगाते,लोग मनगढंत मार्ग पर चल रहे हैं, गोस्वामी तुलसी दासजी लिखते हैं
कलिमल ग्रसे धर्म सब लुप्त भए सद ग्रन्थ ¡ दंभिन्ह निज मति कल्पि करि प्रगट किए बहु पंथ!
कलयुग मे लोग धर्म ग्रंथों मे लिखित सनातन भक्ति पद्धति को छोड़ कर मन द्वारा निर्मित मार्ग पर चलना पसंद करेंगें, और मानव जीवन को पतन के गर्त मे ले जायेगें ¡
तीन दिवसीय कार्यक्रम गुराड़ी मे दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक गुरुदेव आशुतोष महाराज जी की कृपा से सनातन पद्धति द्वारा श्रद्धालुओ को ब्रह्म ज्ञान प्रदान किया गया, श्रद्धालुओं ने अपने अंतःकरण मे आत्म ज्योति का साक्षात्कार करके अनंत आनंद की अनुभूति को प्राप्त किया ।