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मानसून ! टिटहरी ने दिये चार अंडे, होगी भरपूर बारिश…

किसानों के अपने पूर्वानुमान

  1. टिटहरी ने दिये चार अंडे, होगी भरपूर बारिश…
    बया ने भी घोसला बनाया पेड़ के ऊपरी हिस्से मे,
    पहपंहिया(पपीहा) के भी वैराग्यगान शुरु

राजेश शर्मा

मौसम विभाग भले ही मानसून की गतिविधियों को लेकर भविष्यवाणी करता रहे, पूर्वानुमान लगाता रहे लेकिन देश के अनेक सूबों में आज भी किसान टिटहरी पक्षी के अंडों से बारिश का पूर्वानुमान लगाते हैं

देश के देहाती इलाको में ऐसा कहा जाता है कि टिटहरी पक्षी में मौसम का पूर्वानुमान लगाने की अद्भुत क्षमता होती है। इसी कारण किसान भी टिटहरी के अंडों को देखकर बरसात का पूर्वानुमान लगाते हैं। खेतों मे टिटहरी के अंडे दिखाई देना मानसून के आने का संकेत माना जाता है।

आद्रा नक्षत्र से पहले टिटहरी का प्रसव काल होता है
ज्योतिष शास्त्रों में भी यही माना जाता है कि जब सूर्य देव आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो मानसून की गतिविधि शुरू हो जाती है। आद्रा नक्षत्र से पहले टिटहरी का प्रसव काल होता है।

टिटहरी के चार अंडे..

अंडों से लगाते हैं पूर्वानुमान कितने महीने होगी बारिश
मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के कई गांवों के खेतों में भी इस बार टिटहरी के चार अंडे नजर आए हैं. किसान रामसिंह पानी वाले ने बताया कि बुजुर्गों के अनुसार टिटहरी जितने अंडे देती है, उतने महीने बारिश होती है. टिटहरी अगर दो अंडे देती है तो माना जाता है कि मानसून की अवधि दो महीने रहेगी।

“टिटहरी” ने इस वर्ष चार अंडे दिए हैं, तो इस बार बरसात का मौसम चार महीना रहेगा, यह अच्छे मानसून रहने के संकेत है. बुजुर्गों की माने तो इस बार टिटहरी के चार अंडे दिखाई दिए हैं तो 4 महीने बारिश होगी – मनोहर वर्मा पांगरा ने बताया कि अमूमन किसान टिटहरी के अंडों को नुकसान नहीं पहुंचाते है।
टिटहरी का प्रजनन काल मार्च से जून महीने तक होता है, जिसमें टिटहरी अंडे देती है. इस दौरान बुजुर्ग लोग मई महीने के अंत में टिटहरी के अंडे देखकर अंदाजा लगाते हैं की बारिश कब और कितनी होगी।ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों का कहना कि खेत की जुताई करते समय यदि किसान को टिटहरी के अंडे दिख जाए तो वे उस जगह बक्खर या पिलाऊ नहीं चलाते ताकि टिटहरी के अंडों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे

किसानों ने इस बार 4 महीने बारिश का लगाया अनुमान

किसान मोगरा (इछावर) निवासी जमना प्रसाद वर्मा का कहना है कि ऐसा माना जाता है कि टिटहरी अपने अंडे जमीन के निचले स्थान पर देती है, तो माना जाता है कि उस साल बारिश कम होगी. अगर यह अंडे जमीन के ऊंचे स्थान पर या खेतों की मेड़ पर देती है तो उस साल अच्छी बारिश की संभावना है।

टिटहरी ने इस वर्ष चार अंडे दिए हैं, जिससे बरसात का मौसम चार माह रहने के संकेत मिल रहे हैं. किसानों का मानना है कि इस साल भरपूर बरसात होगी और खेतों में फसल की अच्छी पैदावार होगी। बता दें कि पिछले वर्ष भी टिटहरी ने चार अंडे दिये थे जिसके प्रमाण में बारिश भी पूरे चार माह ही हुई थी। सीहोर निवासी कैलाश वर्मा बताते हैं कि हमारे खेत पर भी टिटहरी ने चार विभिन्‍न स्थानों पर चार अंडे दिये थे जिसके परिणामस्वरूप मानसून जोरदार रहा था और खरीफ एवं रवि फसल शानदार रही थी। इस वर्ष भी चार अंडे ही दिए हैं जो किसानों के लिये शुभ संकेत माना जा रहा है।

बया पक्षी का घोसला..

किसानों की मान्यतानुसार इसी तरह ‘बयां” पक्षी यदि पेड़ के ऊपरी हिस्से में घोसला बनाता है तो भी अच्छी बारिश का अनुमान लगाया जाता है, बीच में बनाता है तो खंडित,, ोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोोो  घोंसला यदि निचले भाग में है तो यह संकेत कम बारिश का होता है यह पक्षी कुएं के अंदर मौजूद वृक्षों पर ही अपना घोंसला बनाते हैं। खास बात यह कि नर बया ही एक कुशल सिविल इंजिनियर की तरह घोसला बनाते हैं और मादा बया को रिझाने का आमंत्रण भरा  प्रयास करते हैं।

इसी प्रकार पहपंहिया (पपीहा) पक्षी जब गाने लगे तो इसका संकेत है कि अब एक पखवाड़े के बाद बारिश की शुरुआत होने वाली है। जो पूर्ण मानसून आने का संकेत मानी जाती है। पहपंहिया का सुरीलागान मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है जिसे वैराग्यगान भी कहा जाता है। ऋतु परिवर्तन का संकेत भी।
हिंदी साहित्य और रुहानियत व सूफियत में कोयल की तरह ही पपीहा का भी उल्लेख आता है। ऐसा कहा जाता है कि यह पक्षी एक विशेष ऋतु में ही पानी पीता है और कहता है पी- कहां।

कहते हैं “जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि” …तो कवियों ने ‘पी- कहां’ का अर्थ यह लगाया कि ‘प्रियतम कहां हो’
मराठी में अंदाज़ा है “पाओस- आला” यानि कहां हो पानी आने वाला है। यह आवाज शुरु में धीमी, फिर तेज और आखिरी में बिलकुल बंद हो जाती है।

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