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स्व. अंबादत्त‌ भारतीय : जैसा मैंने उनको देखा और समझा।

प्रसंगवश

स्व. अंबादत्त‌ भारतीय : जैसा मैंने उनको देखा और समझा।

सीहोर , (जयंत शाह) :  22 मार्च 2025 आज स्वर्गीय अंबादत्त भारतीय “बाबा” की 75वीं जन्म तिथि है।
मेरे जीवन का काफी लंबा समय बाबा भारती के सानिध्य में बीता।
आज जब उनकी 75वीं जन्म तिथि है ऐसे मे “बाबा”की स्मृतियां जेहन में उभर के आती है। यही वजह है कि आज के विशेष दिन पर उनके स्वभाव से जुड़ी कुछ विशेषताएं साझा कर रहा हूं।

दूर दृष्टा बाबा भारतीय
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बाबा भारती ने जब इस दुनिया से विदा ली उस समय तक एंड्राइड मोबाइल फोन
इतने चलन में नहीं आये थे।
परंतु 2004 में आई सुनामी में जिस तरह से विवेकानंद रॉक से वहां पर टूर में गए हुए बच्चे जो वहां फंस गए थे, उनके द्वारा बनाई हुई वीडियो
पूरे दुनिया के मीडिया ने बताईं।
इसका बात का उदाहरण देते हुए बाबा भारती कहते थे की आने वाले समय में जिसके पास मोबाइल होगा वह घटना को मोबाइल के द्वारा सबको दिखा देगा।
” वायरल ” शब्द तब चलन में नहीं आया था।
सोशल मीडिया का जमाना आएगा..ऐसा बाबा भारती कहते थे।

अखबारों को यदि अस्तित्व बचाना है तो
खबर के आगे की खबर एवं डिटेल खबर पर काम करना होगा।
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उस समय बाबा भारती कहते थे कि,
कोई घटना घटते ही कुछ ही समय के अंतराल में या लाइव किसी के भी द्वारा पब्लिक में पहुंचा दी जाएगी। जरूरी नहीं पहुंचाने वाला वह व्यक्ति पत्रकार ही हो।
घटना की प्राथमिक जानकारी तो लोगों को मोबाइल के द्वारा मिल ही जाएगी।
समाचार पत्र कोई भी व्यक्ति तभी पढे़गा जब उसमें घटना के पीछे का कारण और उसका विश्लेषण होगा।
या खबर के अंदर की खबर होगी।
अखबार या चैनल के ब्यूरो चीफ का काम कठिन हो जाएगा।
बाबा भारती कहते थे,
समाचार की क्वालिटी की बजाय
“सबसे पहले” दिखाने की होड बढ़ जाएगी।

राजनीति के विषय में
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बाबा भारती की राजनीति पर पैनी नजर रहती थी। परंतु प्रतिक्रिया देने में जल्दी बाजी मे नहीं रहते थे।
पूरे सीहोर जिले में जिस प्रकार का बाबा भारती का नेटवर्क था। उन्हें जिले मे राजनीति की छोटी-छोटी गतिविधियों के बारे में भी जानकारी रहती थी। परंतु स्वयं एवं उनसे जुड़े लगों को जल्दबाजी में प्रतिक्रिया देने से बचने की सलाह देते थे।
राजनीति के बारे मे बाबा अक्सर कहते थे,
” There is many a slip between cup and lip”
अर्थात..”जब मैं किसी मामले में जल्दी बाजी में प्रतिक्रिया देता था तो बाबा कहते थे जरा रुको , देखो चाय में मक्खी भी गिर सकती है”

सीखने और सिखाने की ललक
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अध्यात्म के बारे में उनके विचार बहुत सुलझे हुए थे। ईश्वर पर अटूट विश्वास था।
हर समय नया सीखना और सीखाने पर जोर देते थे।
प्रति बुधवार मैं उनके साथ गणेश मंदिर जाया करता था। वापसी में उनका कुछ समय मेरे घर पर अक्सर रुकना रहता था। मेरी बेटी के लिए मैं जब स्कूटी खरीद कर लाया तो बाबा भारती ने मेरी बेटी को “भगवान नरसिंह “ का मंत्र सिखाते हुए कहा कि गुड़िया सुनो इस मंत्र को 13 दिन तक लगातार विधि अनुसार सुबह सूर्योदय के समय कर लेना भविष्य में ‘एक्सीडेंट” की संभावनाओं से बचे रहने का उपाय है।
दूसरी और मेरी बेटी के द्वारा उन्होंने लगातार नवकार मंत्र को सुनकर के
कंठस्थ किया एवं अर्थ सहित सीखा।
बड़े से बड़े व्यक्ति से भी सीखने की लालसा एवं छोटे से छोटे बच्चों से भी सीखने का प्रयास यह बाबा के व्यक्तित्व की विशेषता थी।

संचार के क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी
से अपडेट रहना चाहते थे।
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बाबा भारती संचार के क्षेत्र में आने वाली हर नई से नई टेक्नोलॉजी की जानकारी से अपडेट रहने का प्रयास करते थे।
इस संबंध में उस समय के युवा पत्रकार श्रवण मावई से अक्सर
कंप्यूटर ,लैपटॉप और मोबाइल
मे आने वाली टेक्नोलॉजी जो पत्रकारों के लिए उपयोगी है पर विचार- विमर्श करते थे।
इस मामले में उनकी पत्रकार श्रवण मावई से लंबी चर्चा होती थी।

आज स्व.अंबादत्त भारतीय की 75 वीं जन्म जयंती पर सादर नमन् , प्रणाम 🙏🙏

(जयंत शाह)

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