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कमलनाथ द्वारा किसानों के हित में लिए गए ऐतिहासिक फैसले, संवेदनशील शासन का है उदाहरण- विजया पाठक

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किसानों की कर्जमाफी: मध्यप्रदेश में कमलनाथ ने शुरू की थी प्रभावी पहल

कमलनाथ द्वारा किसानों के हित में लिए गए ऐतिहासिक फैसले, संवेदनशील शासन का है उदाहरण

26 लाख 95 हजार किसानों के 11 हजार करोड़ रूपये से अधिक हुए थे माफ

प्रदेश के इतिहास में मील का पत्‍थर साबित हुई कर्जमाफी योजना

किसान हितैषी नेतृत्व का प्रतीक हैं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ

विजया पाठक, भोपाल
एडिटर, जगत विजन

मध्यप्रदेश की राजनीति में यदि किसान कल्याण की बात होती है तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाम स्वतः ही प्रमुखता से सामने आता है। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में कमलनाथ ने न केवल नीति निर्धारण के स्तर पर बल्कि धरातल पर भी किसानों के हितों को प्राथमिकता दी बल्कि विशेष रूप से लगभग 18 माह की अपनी सरकार के दौरान उन्होंने प्रदेश के किसानों को जो आर्थिक संबल प्रदान किया, वह आज भी एक मिसाल के रूप में देखा जाता है। कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में अब तक की सबसे बड़ी एकमुश्त किसान ऋण माफी योजना को लागू किया था। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के 51 जिलों के 26 लाख 95 हजार से अधिक किसानों को राहत दी गई। लगभग 11 हजार 646 करोड़ रुपये से अधिक की ऋण राशि माफ कर किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान की गई। यह केवल आंकड़ों की बात नहीं थी, बल्कि इसके पीछे लाखों परिवारों की चिंता, तनाव और आत्मसम्मान जुड़ा हुआ था। कर्ज माफी से किसानों को साहूकारों के चंगुल से मुक्ति मिली और उन्हें दोबारा सम्मानपूर्वक खेती करने का अवसर मिला। निश्चित रूप से यदि कमलनाथ अपना कार्यकाल पूरा करते तो प्रदेश के किसानों का समस्‍त प्रकार का शासकीय कर्ज माफ कर देते।
मध्यप्रदेश का किसान लंबे समय से साहूकारों और व्यापारियों के कर्ज के जाल में फंसा हुआ था। फसल की अनिश्चितता, मौसम की मार, उचित मूल्य न मिलना और बढ़ती लागत ने किसान को आर्थिक रूप से कमजोर बना दिया था। ऐसे कठिन समय में कमलनाथ ने किसानों की इस पीड़ा को समझा और सत्ता संभालते ही इसे अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाया। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद कमलनाथ ने सबसे पहले जिस फाइल पर हस्ताक्षर किए, वह थी किसानों की ऋण माफी से संबंधित फाइल थी। जैसा कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था। यह कदम न केवल एक प्रशासनिक निर्णय था, बल्कि यह उनके किसान-केन्द्रित दृष्टिकोण और संवेदनशील नेतृत्व का प्रतीक भी था। यह कमलनाथ ही थे जिन्‍होंने सबसे पहले कृषि प्रधान प्रदेश में किसानों के हित में इतना बड़ा फैसला लिया था। इस कर्जमाफी से लाखों किसानों को राहत मिली और जो किसान डिफाल्‍टर थे उनकी आगे की राह आसान हुई। प्रदेश के इतिहास में यह मील का पत्‍थर साबित है।

किसानों की आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम

कमलनाथ का मानना था कि किसान को केवल सहायता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है। ऋणमाफी के माध्यम से उन्होंने किसानों को नई शुरुआत का अवसर दिया। इससे किसान बीज, खाद और आधुनिक तकनीकों में निवेश कर सका और उसकी उत्पादकता में सुधार हुआ। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में इस योजना की अहम भूमिका रही। जब किसानों के हाथ में पैसा आया, तो बाजारों में क्रय शक्ति बढ़ी और इससे गांवों की आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई।

विपक्ष का दुष्प्रचार और सच्चाई

कमलनाथ की इस ऐतिहासिक पहल से झल्लाकर बीजेपी के कई नेताओं ने कर्जमाफी को लेकर दुष्प्रचार किया। यह कहा गया कि कर्ज माफी पूरी तरह लागू नहीं हुई या यह केवल दिखावा थी। जबकि सच्चाई यह है कि प्रदेश में सबसे अधिक किसानों को एक साथ कर्ज माफी देने का रिकॉर्ड कमलनाथ सरकार ने ही कायम किया। दुष्प्रचार के बावजूद तथ्य यह रहे कि लाखों किसानों को वास्तविक लाभ मिला और उनके बैंक खातों से कर्ज की राशि समाप्त हुई। स्वयं किसान समुदाय ने अनेक मंचों पर इस योजना की सराहना की।

केन्द्रीय मंत्री रहते हुए भी किसानों के लिए योगदान

कमलनाथ का किसान हितैषी दृष्टिकोण केवल मुख्यमंत्री पद तक सीमित नहीं रहा। इससे पहले जब वे केन्द्र सरकार में मंत्री थे, तब भी उन्होंने मध्यप्रदेश के ग्रामीण और किसान हितों के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के क्रियान्वयन में कमलनाथ की भूमिका महत्वपूर्ण रही। इस योजना के माध्यम से गांवों को सड़कों से जोड़ा गया, जिससे किसानों को अपनी उपज मंडियों तक पहुंचाने में सुविधा हुई। बेहतर सड़क संपर्क से परिवहन लागत घटी और किसानों को अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलने लगा। ग्रामीण सड़कों ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों को भी गांवों तक पहुंचाया, जिससे समग्र ग्रामीण विकास को गति मिली।

संवेदनशील राजनीति का उदाहरण

कमलनाथ की राजनीति का मूल आधार संवेदनशीलता और समावेशिता रहा है। वे किसानों को केवल वोट बैंक के रूप में नहीं, बल्कि प्रदेश की रीढ़ मानते हैं। उनकी नीतियों में किसान, मजदूर और ग्रामीण समाज की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता में रहा। कर्ज माफी, फसल बीमा, उचित समर्थन मूल्य और ग्रामीण अधोसंरचना ये सभी उनके किसान-केन्द्रित दृष्टिकोण के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे।

भविष्य के लिए प्रेरणा

कमलनाथ द्वारा किए गए कार्य आज भी यह प्रेरणा देते हैं कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो किसानों की स्थिति में वास्तविक सुधार किया जा सकता है। उनकी सरकार ने यह साबित किया कि सीमित समय में भी बड़े और प्रभावी निर्णय लिए जा सकते हैं। मध्यप्रदेश के किसान आज भी उस दौर को याद करते हैं, जब सरकार ने उनकी पीड़ा को समझा और उन्हें आर्थिक संबल दिया। यह केवल एक सरकार की उपलब्धि नहीं, बल्कि किसान और सरकार के बीच विश्वास का उदाहरण था।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने 18 माह के कार्यकाल में किसानों के हित में जो कदम उठाए, वे मध्यप्रदेश की राजनीति में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हैं। कर्ज माफी से लेकर ग्रामीण सड़कों तक, उन्होंने हर स्तर पर किसान कल्याण को प्राथमिकता दी। आज जब किसान संकट की चर्चा होती है तो कमलनाथ का नाम एक ऐसे नेता के रूप में सामने आता है, जिसने नीतियों को जमीन पर उतारकर दिखाया। उनका योगदान न केवल वर्तमान बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मानक और प्रेरणा बना रहेगा।

राजेश शर्मा

राजेश शर्मा मप्र से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के हिंदी दैनिक अख़बारों- दैनिक भास्कर नवभारत, नईदुनिया,दैनिक जागरण,पत्रिका,मुंबई से प्रकाशित धर्मयुग, दिनमान के पत्रकार रहे, करीब पांच शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक चैनलों में भी बतौर रिपोर्टर के हाथ आजमाए। वर्तमान मे 'एमपी मीडिया पॉइंट' वेब मीडिया एवं यूट्यूब चैनल के प्रधान संपादक पद पर कार्यरत हैं। आप इतिहासकार भी है। श्री शर्मा द्वारा लिखित "पूर्वकालिक इछावर की परिक्रमा" इतिहास एवं शोध पर आधारित है। जो सीहोर जिले के संदर्भ में प्रकाशित पहली एवं बेहद लोकप्रिय एकमात्र पुस्तक में शुमार हैं। बीएससी(गणित) एवं एमए(राजनीति शास्त्र) मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के पश्चात आध्यात्म की ओर रुख किए हुए है। उनके त्वरित टिप्पणियों,समसामयिक लेखों,व्यंगों एवं सम्पादकीय को काफी सराहा जाता है। सामाजिक विसंगतियों, राजनीति में धर्म का प्रवेश,वंशवाद की राजसी राजनिति जैसे स्तम्भों को पाठक काफी दिलचस्पी से पढतें है। जबकि राजेश शर्मा खुद अपने परिचय में लिखते हैं कि "मै एक सतत् विद्यार्थी हूं" और अभी तो हम चलना सीख रहे है..... शैलेश तिवारी

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