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राम ना बन सको तो विभीषण बन जाना पं मोहितरामजी

राम ना बन सको तो विभीषण बन जाना पंमोहितरामजी

एमपी मीडिया पॉइंट

इस संसार में हर व्यक्ति का भगवान श्री राम के आदर्श चरित्र व्यवहार एवं आचरण से जीना हो सकता थोड़ा कठिन हो आप यदि भगवान श्री राम की तरह न बन सको तो विभीषण बन जाना जब भी खड़े हो तो धर्म के साथ खड़े होना धनवान बलशाली धर्महीन भाई का साथ छोड़ देना किंतु धर्म का साथ मत छोड़ना उक्त वचन हिंदू जगाओं हिंदुस्तान बचाओ संकल्प के साथ दोहरा क्षेत्र के पाल वाले हनुमान मंदिर प्रांगण में चल रही नव दिवसीय श्रीराम कथा के दौरान कथा व्यास क्रांतिकारी संत परम गौभक्त पंडित मोहितरामजी पाठक ने व्यक्त की आगे कथा में वर्णन करते हुए कहा कि जीवन में सभी के साथ विपरीत परिस्थिति आती हैं किंतु भरत ने अपनी माता के केकई अंगद ने अपने पिता बाली को छोड़ दिया पहलाद ने अपने पिता हिरण कश्यप को छोड़ दिया विभीषण ने अपने भाई रावण को छोड़ दिया किंतु धर्म रूपी श्रीराम का साथ कभी नहीं छोड़ा इसलिए हम सभी को भी धर्म सनातन और अपने ईष्ट भगवान श्रीराम रामचरितमानस का पाठ हनुमान चालीसा का पाठ और हमारी संस्कृति को कभी नहीं छोड़ना चाहिए यही श्रीराम कथा हमें सिखाती है एक-एक सनातनी हिंदू जन को भगवान श्री राम का चरित्र और आचरण अपने जीवन में उतरना चाहिए यही भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम की सच्ची पूजा होगी आज तृतीय दिवस की कथा में भगवान शिव एवं माता पार्वती का विवाह महोत्सव बड़ी धूमधाम से कथा पंडाल में मनाया जाएगा आयोजन समिति श्रीपाल वाले बाबा हनुमान मंदिर ने संपूर्ण क्षेत्र वासियों से कथा में पधार कर धर्म लाभ लेने का आग्रह किया

राजेश शर्मा

राजेश शर्मा मप्र से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के हिंदी दैनिक अख़बारों- दैनिक भास्कर नवभारत, नईदुनिया,दैनिक जागरण,पत्रिका,मुंबई से प्रकाशित धर्मयुग, दिनमान के पत्रकार रहे, करीब पांच शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक चैनलों में भी बतौर रिपोर्टर के हाथ आजमाए। वर्तमान मे 'एमपी मीडिया पॉइंट' वेब मीडिया एवं यूट्यूब चैनल के प्रधान संपादक पद पर कार्यरत हैं। आप इतिहासकार भी है। श्री शर्मा द्वारा लिखित "पूर्वकालिक इछावर की परिक्रमा" इतिहास एवं शोध पर आधारित है। जो सीहोर जिले के संदर्भ में प्रकाशित पहली एवं बेहद लोकप्रिय एकमात्र पुस्तक में शुमार हैं। बीएससी(गणित) एवं एमए(राजनीति शास्त्र) मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के पश्चात आध्यात्म की ओर रुख किए हुए है। उनके त्वरित टिप्पणियों,समसामयिक लेखों,व्यंगों एवं सम्पादकीय को काफी सराहा जाता है। सामाजिक विसंगतियों, राजनीति में धर्म का प्रवेश,वंशवाद की राजसी राजनिति जैसे स्तम्भों को पाठक काफी दिलचस्पी से पढतें है। जबकि राजेश शर्मा खुद अपने परिचय में लिखते हैं कि "मै एक सतत् विद्यार्थी हूं" और अभी तो हम चलना सीख रहे है..... शैलेश तिवारी

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