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सत्य ही भगवान है- जगतगुरु पं. अजय पुरोहित

धर्म

सत्य ही भगवान है- जगतगुरु पं. अजय पुरोहित

सीहोर, 31 अगस्त 2025
एमपी मीडिया पॉइंट

कल शनिवार को ग्राम छतरपुरा में संगीतमय सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का आरंभ भव्य कलश यात्रा के साथ किया गया। इस मौके पर ग्राम सहित आस-पास के हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल थे।

कथा के पहले दिन श्री अयोध्यानाथ पीठाधीश्वर जगतगुरु पंडित अजय पुरोहित ने कहा कि सत चित आनंद स्वरूप ही भगवान हैं। जो सत्य बोलते है। भगवान का स्वरूप सच्चिदानंद है, सत चित आनंद स्वरूप ही भगवान है, जो सत्य बोलता है। जो भगवान की छवि को अपने चित में रखता है। सत्य ही धर्म है, चित्त आनंद का अर्थ है कि सत्य ही मूल धर्म है, और चित्त का आनंद ही परम सत्य है। यहां सत्य का अर्थ केवल वचनों की सच्चाई ही नहीं, बल्कि प्रकृति के नियम और स्वभाव भी हैं। वहीं चित्त आनंद या सच्चिदानंद ब्रह्म का वह स्वरूप है, जहाँ अस्तित्व (सत्), चेतना (चित्) और परमानंद (आनंद) एक हो जाते हैं। इस प्रकार, सत्य और आनंद के अनुभव के माध्यम से व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप यानी ब्रह्म को पा सकता है।

भव्य कलश यात्रा के दौरान पं. अजय पुरोहित

उन्होंने कहा कि भागवत धर्म सिखाता है कि मनुष्य आनंद को बाहर खोजने की बजाय अपने भीतर ही ढूंढना चाहिए. आनंद आत्मा का स्वरूप है, और इसे अनुभव करने के लिए आत्म-मंथन की आवश्यकता होती है। सत चित आनंद स्वरूप भगवान की छवि को अपने चित में रखता है। आनंद से प्रेमपूर्वक सरलता से सभी से मिलता है, सरल, सहज रहता है वही परमात्मा को प्राप्त करता है। जिस जीव के जीवन में वाणी में सत्यता व्यवहार में सरलता और चित में निरंतर परमात्मा का स्मरण करता रहता है, वह जीव इस भवसागर से पार हो जाता है।

राजेश शर्मा

राजेश शर्मा मप्र से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के हिंदी दैनिक अख़बारों- दैनिक भास्कर नवभारत, नईदुनिया,दैनिक जागरण,पत्रिका,मुंबई से प्रकाशित धर्मयुग, दिनमान के पत्रकार रहे, करीब पांच शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक चैनलों में भी बतौर रिपोर्टर के हाथ आजमाए। वर्तमान मे 'एमपी मीडिया पॉइंट' वेब मीडिया एवं यूट्यूब चैनल के प्रधान संपादक पद पर कार्यरत हैं। आप इतिहासकार भी है। श्री शर्मा द्वारा लिखित "पूर्वकालिक इछावर की परिक्रमा" इतिहास एवं शोध पर आधारित है। जो सीहोर जिले के संदर्भ में प्रकाशित पहली एवं बेहद लोकप्रिय एकमात्र पुस्तक में शुमार हैं। बीएससी(गणित) एवं एमए(राजनीति शास्त्र) मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के पश्चात आध्यात्म की ओर रुख किए हुए है। उनके त्वरित टिप्पणियों,समसामयिक लेखों,व्यंगों एवं सम्पादकीय को काफी सराहा जाता है। सामाजिक विसंगतियों, राजनीति में धर्म का प्रवेश,वंशवाद की राजसी राजनिति जैसे स्तम्भों को पाठक काफी दिलचस्पी से पढतें है। जबकि राजेश शर्मा खुद अपने परिचय में लिखते हैं कि "मै एक सतत् विद्यार्थी हूं" और अभी तो हम चलना सीख रहे है..... शैलेश तिवारी

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