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न्यूयॉर्क टाइम्स ने आतंकवादी को लिखा ‘उग्रवादी’, तो अमेरिकी संसद ने लगाई फटकार

प्रतिष्ठित अखबार के शब्दों का हेरफेर

न्यूयॉर्क टाइम्स ने आतंकवादी को लिखा ‘उग्रवादी’, तो अमेरिकी संसद ने लगाई फटकार

पी टीआई, न्यूयार्क। अमेरिकी विदेश मामलों की समिति ने पहलगाम हमले पर न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) की रिपोर्ट की निंदा की है। समाचार पत्र ने रिपोर्ट में ‘आतंकवादियों’ के स्थान पर ‘उग्रवादियों’ शब्द का इस्तेमाल किया था।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखी थी ये बात

न्यूयॉर्क टाइम्स ने ‘कश्मीर में उग्रवादियों (मिलिटेंट्स) ने कम से कम 24 पर्यटकों को मार गिराया’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस गोलीबारी को, जो इस क्षेत्र में नागरिकों के विरुद्ध पिछले कई वर्षों में सबसे भयानक थी, एक ‘आतंकी हमला’ कहा और अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने की कसम खाई है।

एक्स पर एक पोस्ट में विदेश मामलों की समिति ने बहुमत से कहा, ‘एनवाईटी, हमने आपके लिए इसे ठीक कर दिया है। यह एक आतंकी हमला (टेरोरिस्ट अटैक) था। चाहे भारत हो या इजरायल, जब आतंकवाद (टेरोरिज्म) की बात आती है तो एनवाईटी वास्तविकता से दूर हो जाता है।’

समिति ने हेडलाइन में किया ये काम

पोस्ट में समिति ने हेडलाइन में ”उग्रवादियों” (मिलिटेंट्स) शब्द को हटाकर इसके स्थान पर ”आतंकवादी” (टेरोरिस्ट्स) शब्द लिख दिया। साथ ही इस शब्द को बोल्ड और लाल रंग में लिख दिया।

राजेश शर्मा

राजेश शर्मा मप्र से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के हिंदी दैनिक अख़बारों- दैनिक भास्कर नवभारत, नईदुनिया,दैनिक जागरण,पत्रिका,मुंबई से प्रकाशित धर्मयुग, दिनमान के पत्रकार रहे, करीब पांच शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक चैनलों में भी बतौर रिपोर्टर के हाथ आजमाए। वर्तमान मे 'एमपी मीडिया पॉइंट' वेब मीडिया एवं यूट्यूब चैनल के प्रधान संपादक पद पर कार्यरत हैं। आप इतिहासकार भी है। श्री शर्मा द्वारा लिखित "पूर्वकालिक इछावर की परिक्रमा" इतिहास एवं शोध पर आधारित है। जो सीहोर जिले के संदर्भ में प्रकाशित पहली एवं बेहद लोकप्रिय एकमात्र पुस्तक में शुमार हैं। बीएससी(गणित) एवं एमए(राजनीति शास्त्र) मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के पश्चात आध्यात्म की ओर रुख किए हुए है। उनके त्वरित टिप्पणियों,समसामयिक लेखों,व्यंगों एवं सम्पादकीय को काफी सराहा जाता है। सामाजिक विसंगतियों, राजनीति में धर्म का प्रवेश,वंशवाद की राजसी राजनिति जैसे स्तम्भों को पाठक काफी दिलचस्पी से पढतें है। जबकि राजेश शर्मा खुद अपने परिचय में लिखते हैं कि "मै एक सतत् विद्यार्थी हूं" और अभी तो हम चलना सीख रहे है..... शैलेश तिवारी

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