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इस शुक्रवार को शुक्र है कि नेपाल में भूकंप की तीव्रता म्यान्मार की तुलना में कम रही, भारत के भी कुछ हिस्सों में धरती थरथराई..

भूकंप का इसबार नेपाल में

इस शुक्रवार को शुक्र है कि नेपाल में भूकंप की तीव्रता म्यान्मार की तुलना में कम रही,

भारत के भी कुछ हिस्सों में धरती थरथराई..

मीडिया रिपोर्ट

नेपाल की धरती एक बार फिर भूकंप के झटकों से कांप उठी. शुक्रवार को यहां करीब 5.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसकी वजह से नेपाल के कई इलाकों में हलचल महसूस की गई. भूकंप का केंद्र नेपाल में था, लेकिन इसके झटके उत्तर भारत के कई हिस्सों खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड में भी हल्के रूप में महसूस किए गए.

झटके महसूस होते ही लोगों में दहशत फैल गई और कई लोग अपने घरों से बाहर निकल आए. हालांकि, अभी तक जान-माल के नुकसान की कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह मध्यम तीव्रता का भूकंप था, लेकिन इससे भविष्य में किसी बड़ी हलचल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. हालांकि पिछले दिनों आई म्यांमार और बैंकॉक में आई तबाही को कोई भूल नहीं सकता. अभी तक वहां भूकंप से मची तबाही लोग जूझ रहे हैं.

म्यांमार में सदी का सबसे बड़ा भूकंप

म्यांमार के सगाइंग शहर में बीते शुक्रवार को आए सदी के सबसे शक्तिशाली भूकंप ने तबाही का ऐसा मंजर छोड़ा, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है. भूकंप की तीव्रता इतनी अधिक थी कि सड़कें फट गईं, इमारतें ढह गईं और जगह-जगह गहरे गड्ढे बन गए.

बीबीसी के मुताबिक को जेयर नाम के एक व्यक्ति मंडाले से अपने शहर सगाइंग लौट रहा था. उन्होंने बताया कि आमतौर पर 45 मिनट का सफर 24 घंटे में पूरा कर पाए. इस दौरान उन्होंने रास्ते में उन्हें टूटे पुल, गिरी हुई इमारतें और तबाही का भयानक मंजर देखने को मिला. जेयर के परिवार के सदस्य सुरक्षित निकले लेकिन उनके कई दोस्त इस त्रासदी में मारे गए. सगाइंग लगभग पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो चुका है और राहत कार्य संसाधनों की कमी से जूझ रहा है.

अब तक 3,145 लोगों की मौत

वहीं, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 3,145 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि सैकड़ों अभी भी मलबे के नीचे दबे हैं. शवों की बदबू पूरे इलाके में फैली हुई है और स्थानीय लोग सामूहिक कब्रों में दफनाने को मजबूर हैं. भूकंप के बाद लगातार आ रहे झटकों के बीच लोग खुले आसमान के नीचे चटाई पर सो रहे हैं. म्यांमार की फौजी सरकार और गृहयुद्ध की स्थिति राहत कार्य में भी बाधा बनी हुई है.

राजेश शर्मा

राजेश शर्मा मप्र से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के हिंदी दैनिक अख़बारों- दैनिक भास्कर नवभारत, नईदुनिया,दैनिक जागरण,पत्रिका,मुंबई से प्रकाशित धर्मयुग, दिनमान के पत्रकार रहे, करीब पांच शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक चैनलों में भी बतौर रिपोर्टर के हाथ आजमाए। वर्तमान मे 'एमपी मीडिया पॉइंट' वेब मीडिया एवं यूट्यूब चैनल के प्रधान संपादक पद पर कार्यरत हैं। आप इतिहासकार भी है। श्री शर्मा द्वारा लिखित "पूर्वकालिक इछावर की परिक्रमा" इतिहास एवं शोध पर आधारित है। जो सीहोर जिले के संदर्भ में प्रकाशित पहली एवं बेहद लोकप्रिय एकमात्र पुस्तक में शुमार हैं। बीएससी(गणित) एवं एमए(राजनीति शास्त्र) मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के पश्चात आध्यात्म की ओर रुख किए हुए है। उनके त्वरित टिप्पणियों,समसामयिक लेखों,व्यंगों एवं सम्पादकीय को काफी सराहा जाता है। सामाजिक विसंगतियों, राजनीति में धर्म का प्रवेश,वंशवाद की राजसी राजनिति जैसे स्तम्भों को पाठक काफी दिलचस्पी से पढतें है। जबकि राजेश शर्मा खुद अपने परिचय में लिखते हैं कि "मै एक सतत् विद्यार्थी हूं" और अभी तो हम चलना सीख रहे है..... शैलेश तिवारी

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