
निमिषा को फांसी से बचाना : आधी हकीकत आधा फ़साना…
राजेश शर्मा, प्रधान संपादक
आजकल मीडिया में चर्चा है यमन में रहने वाली भारतीय युवा महिला निमिषा की…। निमिषा मृत्यु की दहलीज़ पर खड़ी है और उसे आगामी 16 जुलाई को यमन के तौर तरीके से मृत्युदंड दिया जाना है। भारत की कोशिश है कि किसी भी तरह निमिषा बच जाए…लेकिन क्या यह उचित है? इस सवाल पर अलग दृष्टिकोण सामने आने लगे हैं। एक ऐसे समय पर जब भारत के अंदर ढाबों,रेस्तरांओ में कई अबलाएं तोड़ रही हैं दम,और उनके कातिल कानून की पकड़ से कोसों बाहर बने हुए हैं। ऐसे में…!
अब सवाल है कि भारत से बड़े सपने लेकर दूर देश पहुंची निमिषा आखिर इस हाल में कैसे आ गईं। क्या अन्य असंख्य भारतीय महिलाओं को ऐसे सपने देखना वर्जित है? कहा जाता है कि वह तलाल की धोखाधड़ी का शिकार हो गई थी।
ऐसा बताते हैं कि निमिषा को यमन की राजधानी सना में एक हैल्थ सेंटर में नौकरी मिली थी, लेकिन वह आगे चलकर खुद का क्लीनिक खोलना चाहती थीं। सबकुछ ठीक चल रहा था और वह साल 2011 में कतर में ड्राइवर का काम करने वाले टॉमी थॉमस से शादी करने भारत आ गईं। इसके बाद दोनों ने यमन का रुख किया। दोनों की बेटी भी हुई। साल 2014 में निमिषा क्लीनिक खोलने की तैयारी कर रही थीं। तभी अक्तूबर 2014 में उनकी मुलाकात यमन के युवक तलाल अब्दो महदी से हुई।
तलाल का परिवार उस क्लीनिक पर आता रहता था, जहां निमिषा काम करती थीं।
खासबात यह कि तलाल उनकी मदद करना चाहता था और यही से निमिषा को रास्ता नजर आया। यमन के कानून कहते हैं कि क्लीनिक खोलने के लिए लोकल स्पॉन्सरशिप की जरूरत होती है। ऐसे में उन्होंने तलाल से औपचारिकताओं में मदद करने के लिए कहा। बताया जाता है कि निमिषा ने तलाल को 6 लाख यमनी रियाल भी दिए थे, ताकि जगह के मालिक को किराया दिया जा सके और परमिट हांसिल कर सकें।
तमाम दुर्गम रास्तों से गुजरने के बाद अप्रैल 2015 में निमिषा ने क्लीनिक शुरू कर दी। रिपोर्ट में निमिषा और उनके परिवार के हवाले से बताया गया है कि तलाल अब साझेदार का रवैया बदल रहा था। उसने कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज बनाकर क्लीनिक में 33 फीसदी हिस्सा मांगा। साथ ही निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया और दोनों को शादीशुदा दिखाने के लिए फर्जी विवाह प्रमाण पत्र भी बनवा लिया।
खास बात है कि जब निमिषा इन दस्तावेजों को लेकर कोर्ट पहुंची, तो वहां भी इन्हें सही माना गया। बात जब पुलिस के पास पहुंची, तो निमिषा और तलाल दोनों को ही थोड़े समय के लिए जेल में डाला गया था। निमिषा ने तलाल पर शारीरिक और यौन हिंसा के आरोप लगाए थे। उन्हीं शिकायतों के आधार पर तलाल कई बार जेल गया। फरवरी 2016 में कोर्ट ने निमिषा की प्रॉपर्टी और क्लीनिक के दस्तावेज लौटा दिए।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तलाल धोखाधड़ी के एक और मामले में जेल चला गया। अब बाहर निमिषा को उनके पासपोर्ट की जरूरत थी। ऐसे में उन्होंने तलाल से मिलने जेल जाना शुरू कर दिया। खबर है कि वह लगातार दस्तावेज लौटाने और तलाक के कागज पर हस्ताक्षर करने के लिए कहती थी, ताकि झूठी शादी को खत्म किया जा सके।
जुलाई 2017 में ऐसी ही एक मुलाकात के लिए वह जेल गईं। मिलने के दौरान उसने पासपोर्ट हासिल करने के लिए तलाल को इंजेक्शन लगा दिया, लेकिन उसकी ओवरडोज के कारण मौत हो गई। मसला बिगड़ते देख निमिषा ने यमन की ही एक साथी नर्स की मदद मांगी, जिसने कथित तौर पर शव के टुकड़े करने और पानी की टंकी में फेंकने का सुझाव दिया।
बाद में दोनों पुलिस के हत्थे चढ़ गईं। निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया और सन् 2020 में स्थानीय कोर्ट ने उन्हें तीन बार मौत की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने दो सजाओं को बरकरार रखा।
बात यह है कि, निमिषा के मामले में भारत सरकार का उलझना कितना औचित्यपूर्ण है। पूरा मामला निमिषा के निजि जीवन के इर्द-गिर्द घूम रहा है। अपने वैवाहिक जीवन में तीसरे कांकड़ को निमिषा ने ही बुलावा भेजा। ओवरडोज़ दवाई के नाम पर !! बड़ी सफाई से तलाल की हत्या तो की लेकिन शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर पानी की टंकी में फेंकते समय उसके हाथ क्यों नहीं कंपकपाएं,इतना कठोर दिल किसी साफपाक महिला का हो ही नहीं सकता खासतौर पर भारत की…
एकतरफ हाल ही में सुर्खियों में आए इंदौर के “सोनम कांड” को लेकर अभी जांच पड़ताल चल ही रही है तभी सोशल मीडिया पर सोनम को फांसी दिये जाने की मांग परवान चढ़ती जा रही है। क्योंकि यह हिंदुस्तान का घरेलू मामला है ना….निमिषा का मामला यमन का है इसलिए उसे बचाने का प्रयास कर लोग एवं भारत सरकार ‘देशभक्ति’ का सबूत पेश करना चाह रहे हैं!!
यमन में फांसी देने के तरीके भी दर्दनाक हैं और भारत से भिन्न हैं। वहां सीधे-सीघे सूली पर नहीं चढ़ाया जाता बल्कि शारीरिक यातनाएं देकर बाद में या तो उल्टा लेटाकर ऊपर से कंबल उढ़ाकर गोलियों से शूट कर दिया जाता है(कंबल पर डॉ. गोलाकार निशान लगाकर दिल को चिन्हित करते हैं) या फिर सूली पर लटका दिया जाता है। वहां फांसी की सजा दिलदहला देने वाली होती है।
क्योंकि संबंधित द्वारा किया गया अपराध भी तो दिल दहलाने वाला ही होता है। वैसे भी भारत में कहावत है कि “जैसे देव की वैसी पूजा”
इसमें हर्ज़ क्या है। खबर है कि यमन के नियमानुसार यदि मृतक तलाल का परिवार यदि मुआवज़ा ले लेता है तो ही निमिषा को फांसी से बचाया जा सकता है लेकिन तलाल के परिवार ने अब तक मुआवज़ा राशि लेने का प्रस्ताव ठुकरा रखा है। ऐसे में भारत सरकार की भूमिका…? आधी हकीकत आधा फ़साना..