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मध्यप्रदेश में सीएम राइज स्कूलों का बदला नाम…अब कहलाएंगे ‘सांदीपनि स्कूल’, मुख्यमंत्री मोहन यादव का बड़ा ऐलान,

शानदार निर्णय..

मध्यप्रदेश में सीएम राइज स्कूलों का बदला नाम…अब कहलाएंगे ‘सांदीपनि स्कूल’, मुख्यमंत्री मोहन यादव का बड़ा ऐलान,

श्रीकृष्ण ने उज्जैन पहुंच “सांदिपनी आश्रम” में 64 दिनों में सीखी थी 64 कलाएं, साथ में थे सुदामा भी..

भोपाल मध्यप्रदेश, 02अप्रैल 2025
एमपी मीडिया पॉइंट

मध्यप्रदेश में सीएम राइज स्कूलों का नाम बदलकर ‘सांदीपनि स्कूल’ करने का ऐलान किया गया है. यह नामकरण श्रीकृष्ण के गुरु सांदीपनि ऋषि के सम्मान में किया गया है. मंच से मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएम राइज नाम खटकता है। अंग्रेज चले गए, लेकिन यह मानसिकता तकलीफ देती है.
मध्यप्रदेश में ‘स्कूल चलें हम अभियान 2025’ का शुभारंभ मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राजधानी भोपाल में किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि देश में शिक्षा की शुरुआत 5000 साल पहले गुरुकुलों के रूप में हो चुकी थी. उन्होंने एक बड़ी घोषणा करते हुए सीएम राइज स्कूलों का नाम बदलकर ‘सांदीपनि स्कूल’ करने और शिक्षा पंजीयन पोर्टल 3.0 को लॉन्च करने की बात कही मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा, “सही मायने में स्कूल चलें हम अभियान 5000 साल पहले शुरू हो चुका था, जब इसे गुरुकुल कहा जाता था. आज ये स्कूल कहलाते हैं. श्रीकृष्ण ने 11 साल की उम्र में कंस का वध किया और फिर शिक्षा के लिए सांदीपनि आश्रम गए. वहां उनकी सुदामा से मित्रता हुई. आप भी अपने मित्रों के साथ श्रीकृष्ण और सुदामा जैसा रिश्ता बनाएं.”

उन्होंने सीएम राइज स्कूलों का नाम बदलने की वजह बताते हुए कहा, “सीएम राइज नाम खटकता है. अंग्रेज चले गए, लेकिन यह मानसिकता तकलीफ देती है. इसलिए अब ये सांदीपनि स्कूल कहलाएंगे.”

CM यादव ने सरकारी स्कूलों की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, एपीजे अब्दुल कलाम, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और लाल बहादुर शास्त्री जैसे महान लोग सरकारी स्कूलों से पढ़े हैं. आज पीएम मोदी दुनिया के सबसे बड़े नेता हैं.

उन्होंने पीएम मोदी के नेतृत्व में देश और प्रदेश के विकास की भी सराहना की. उन्होंने बताया कि संभाग स्तर पर इन्वेस्टर्स समिट से 60% प्रस्तावों पर काम शुरू हो चुका है और भोपाल की ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से भारी निवेश मिला है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘स्कूल चलें हम’ अभियान के तहत 1 से 8वीं कक्षा के बच्चों को स्कूल लाने की योजना ऐतिहासिक है. इसकी रूपरेखा भी तैयार की गई है

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