सीहोर(एमपी) कांग्रेस में परिक्रमाओं एवं ग्रहों की भ्रामक स्थिति से जारी फलादेश का मतलब- राजेश शर्मा
त्वरित विचार

सीहोर(एमपी) कांग्रेस में परिक्रमाओं एवं ग्रहों की भ्रामक स्थिति से जारी फलादेश का मतलब
राजेश शर्मा,
जैसे सनातन धर्म में “नर्मदा” परिक्रमा का धार्मिक महत्व है वैसे ही कांग्रेस में “गांधी-वाड्रा” परिक्रमा का राजनीतिक महत्व है। यही परिक्रमा का स्वरुप प्रादेशिक स्तर पर “अध्यक्ष” परिक्रमा में तब्दील हो जाता है।
कांग्रेस “परिक्रमा” करने वालों को तुरंत फल देती है। नर्मदा का फल तत्काल तो नहीं किंतु सुनिश्चित लेकिन दीर्घकालीन,अनंतकालीन भी माना जाता है।
मध्य प्रदेश की बात करें तो इस समय कांग्रेस में अध्यक्ष यानि “पटवारी” परिक्रमा का जोर और शोर दोनों ही चल रहा है। पटवारी साहब जरीब की पुरानी तरकीब अपना रहे है जबकि अब राजनिति की रणनीति में अत्याधुनिक मशीनें काम कर रही हैं। एक से बड़ कर एक नेता अपने दम पर उभर रहे हैं चाहे कांग्रेस हो या अन्य कोई दल, हीरो को तराश ने के लिए जौहरी बनना पड़ता है। ना कि बयानबाज नेता। मसलन परिक्रमा पर ध्यान कम और राह के रोढ़ों पर निगाह टिकानी होगी उस में से हीरा तराशना होगा वरना अभी तो कांग्रेस के लिए गर्दिशें ही गर्दिशें नज़र आ रही हैं।
अगर बात राजधानी भोपाल और उससे सटे सीहोर,विदिशा,नर्मदापुरम एवं रायसेन जिले की करें तो यहां हर तीसरे घर में दशकों से नेता पनपते आ रहे हैं चाहे राजनैतिक, सामाजिक,धार्मिक,व्यापारिक,किसान,पत्रकार, शासन के कर्मचारी-अधिकारी,विभिन्न प्रकोष्ठ के ही क्यों न हों!!
सभी सेवाभाव के जबरदस्त नाट्यकलाकार हैं। जनता की तालियां इनकी भूख.., और खाली दिखी कुर्सियां इनकी प्यास है.. जिसे पाने के लिए प्यादों को लड़ाते रहना ही इनका धर्म-कर्म का खेल है। शतरंज के खेल में बेचारे प्यादों का ही सबसे कम मूल्य होता है।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व में ‘संगठन सृजन अभियान’ कितना परवान चढ़ा ? इसका अनुमान तो विभिन्न मीडिया रिपोर्टस् या अन्य निजि सर्वे से कांग्रेस आलाकमान ने लगवा ही लिया है। सूत्रों की माने तो निष्कर्ष अभी बाकी है। खुलासा अगले माह बिहार चुनाव के बाद होगा।
वर्तमान में मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस एक अभियान ओर चलाए हुए है जिसका नामकरण संस्कार ही भाजपा को फायदा दिलाने वाला साबित हो रहा है। इस अभियान का नाम है “वोट चोर गद्दी छोड़” इस अभियान को सफल बनाने में कांग्रेस में प्रभारियों की नियुक्तियां जारी हैं।
इसी उदाहरण में एक नव नियुक्त नेताजी का नाम आता है अजय पटेल लोगों में जिज्ञासा है कि ये कौन से वाले है भई ? क्योंकि एक अजय पटेल बुधनी तहसील के हैं और वह राहुल गांधी के भारत यात्रा (कश्मीर से कन्याकुमारी तक) में साथ रहे। उन्हें रायसेन के उदयपुरा तहसील प्रभारी नियुक्त किया गया है। ये वही हैं।
दूसरी तरफ अजय पटेल नंदगांव(भैरुंदा) को भी वही(उदयपुरा) का प्रभारी नियुक्त किया गया।
अब जगह-जगह से उनके अलगअलग समर्थक सोशल मीडिया पर बधाई देने में जुटे हैं। और आम कांग्रेसी बगले झांक कर एक दूसरे से इशारों में पूछ रहे हैं कि आखिर यह लफड़ा क्या है!! एक उदयपुरा के दो-दो प्रभारी वो भी दो-दो अजय पटेल!! (अब आप समझ गए होंगे छोटी परिक्रमा और बड़ी परिक्रमा में अंतर और बनते फलादेश एवं ग्रहों की भ्रामक स्थिति)
अब कांग्रेस में उत्पन्न हुई यह भ्रम वाली स्थिति को लेकर जिला एवं प्रदेश कांग्रेस दोनों ही किसी प्रकार का स्पष्टीकरण नहीं दे पा रही हैं जो कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं मानी जा सकती। जब भ्रम का मायाजाल टूटेगा तब दोनों में से किसी एक अजय पटेल के समर्थकों का हताशा से गुजरना भी तो तय है जो कौन सा फायदा पहुंचाने वाला साबित होगा कांग्रेस को…