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जुमला साबित होगा 400 पार का नारा … चार जून को?

संपादक शैलेश तिवारी की कलम से विशेष लेख

जुमला साबित होगा 400 पार का नारा … चार जून को?

संपादक शैलेश तिवारी की कलम से विशेष लेख

सीहोर, एमपी मीडिया पॉइंट 

लोक सभा लोक सभा चुनाव घोषित होने से लगभग 3 महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में यह घोषणा की की इस बार भारतीय जनता पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में 400 करने जा रही है इसको सुनने के बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में जोश पैदा हुआ, यह जोश निश्चित करने लगा की भाजपा इस बार 400 पार कर जाएगी।

वक्त ने जब करवट ली तो इस नारे में संशोधन हुआ की भाजपा अपने दम पर 370+ सीट लेगी और अपने सहयोगी दलों के माध्यम से वह 400 सीट पार कर जाएगी।

इधर विपक्षी दलों में कुछ हलचल होना शुरू हुई और नतीजे में इंडिया गठबंधन का जन्म हुआ अब सवाल यह है कि क्या वाकई में भाजपा और उसके सहयोगी दल 400 सीट पार कर जाएंगे । भाजपा के समर्थकों को यह बात बिल्कुल ब्रह्म वाक्य की तरह लग रही है और विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं में संभवत यह नारा निराशा पैदा कर रहा है लेकिन आंकड़ों की जुबानी अगर हम देखना शुरू करें तो भाजपा का यह नारा दूर की कोड़ी साबित होता है ।

पाठकों को मेरी बात का शायद विश्वास ना हो लेकिन हकीकत कुछ ऐसी है कि भाजपा का यह नारा 4 जून को जुमला साबित होने जा रहा है ।सोच कर आप हैरान हो सकते हैं लेकिन जब मैं आगे आंकड़ों पर चर्चा करूंगा तो आप मेरी बात से सहमत हो जाएंगे तो आइए हम अपने लोकतांत्रिक अतीत को खंगालते हैं और वर्तमान का शोध करने की कोशिश करते हैं जिससे भविष्य की संभावनाओं को टटोला जा सके।

सबसे पहले सबसे पहले हम आपको 1999 के चुनाव के दौरान भाजपा को मिली 182 सीटों का जिक्र करते हैं जिसमें यह उल्लेख भी कर देते हैं की कांग्रेस को इस चुनाव में 114 सीट मिली थी ।

इसी तरह इसी तरह जब हम 2004 चुनाव के परिणामों पर गौर करते हैं तो भाजपा और कांग्रेस को क्रमशः 138 और 145 सीट मिली थी

आईए एक नजर अब 2009 के चुनाव परिणाम पर भी डाली जाए जिसमें भाजपा को 116 और कांग्रेस को 206 सीट मिली।

जबकि 2014 में भाजपा ने अपने दम पर बहुमत पाते हुए 283 सीट जीती और कांग्रेस को मात्र 44 सीटों पर समेट दिया ।

2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद की एक लहर चली और उसने भाजपा को 303 सीटों पर जीत दिला दी लेकिन कांग्रेस ने पिछले चुनाव की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हुए केवल 52 सीटों पर जीत दर्ज की

1999 से लेकर 2019 तक के पांच लोकसभा चावन पर गौर करें तो हर चुनाव में गैर कांग्रेसी और गैर भाजपा दलों ने कुल 543 सीटों में से अच्छी सीटों पर जीत दर्ज की है जो क्रमशः 247,260,221, 216 और 188 रही है

यानी की 2019 के चुनाव को छोड़कर गैर भाजपा और गैस कांग्रेसी दलों ने 200 से ज्यादा सीट प्राप्त की 2019 में पुलवामा अटैक के बाद सर्जिकल स्ट्राइक के साथ राष्ट्रवाद का जो जज्बा मतदाता के मन में जगा तो उसने भाजपा को बहुमत दिला दिया लेकिन गैर भाजपा और गैर कांग्रेसी दल 188 के सीट फिर भी पा गए ।

अब भाजपा जब यह दावा कर रही है और नारा लगा रही है कि वह अपने दम पर 370 सीट ले आएगी जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान ना तो कोई लहर है, ना ही किसी के पक्ष में कोई हवा बहती हुई दिखाई दे रही है और ना ही मोदी मैजिक का असर देश के अधिकांश हिस्सों में दिखाई दे रहा है। ऐसी स्थिति में 2019 के वोट प्रतिशत पर नजर डाली जाए तो भाजपा को लगभग 38 पर प्रतिशत वोट मिले थे और विपक्ष में 62% वोट गए थे अब जबकि कोई लहर नहीं है, कोई हवा नहीं है। साथ ही विपक्ष और भाजपा उम्मीदवारों के बीच में अधिकांश सीटों पर वन टू वन की फाइट हो रही है तो यह अंदाज लगाना सहज होगा कि विपक्षी दलों में से कांग्रेस को घटा भी दें तो शेष गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई दलों को लाभ निश्चित मिलेगा । कौन सा दल किस गठबंधन का हिस्सा है यह दरकिनार कर यह आंकड़े आपके समक्ष प्रस्तुत हैं।

राजनीतिक पंडित और चुनाव विश्लेषक इस बात को मानते हैं कि गैर कांग्रेसी और गैर भाजपा दलों को 2019 में मिली 188 सीटों में लगभग 50 से 55 सीटों का लाभ होने जा रहा है इस तरह से कांग्रेस और भाजपा के अलावा जितने भी राजनीतिक दल हैं वह लगभग 240 से 245 सीटों के बीच जीत दर्ज कर सकते हैं यह स्थिति 4 जून को हकीकत भी बन सकती है और अगर हकीकत बनती है तो भाजपा का अकेले दम पर 370 सीट लाने का नारा जुमला साबित हो जाएगा गौरतलब बात यह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों मिलकर 300 से 310 सीटों के बीच ही ला पा रहे हैं तो अकेली भाजपा का 370 पर का नारा जुमला साबित होते हुए देखने के लिए हमें 4 जून 2024 का इंतजार करना होगा।

शैलेश तिवारी, सीहोर

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