
“भारत की अंतरिक्ष छलांग: शुभांशु शुक्ला और आइएएक्स-4 मिशन की ऐतिहासिक उड़ान”
गर्व का पल – अंतरिक्ष में भारत की चमक
अनिल मालवीय , लेखक एवं शिक्षाविद. भोपाल
“आसमान से आगे जहां और भी हैं…”
आज यह पंक्ति सिर्फ एक कविता नहीं, बल्कि हकीकत बन गई है। भारत के साहसी पुत्र सुधांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर कदम रखकर इतिहास रच दिया है। यह केवल विज्ञान या अंतरिक्ष की विजय नहीं, यह हर भारतीय के गर्व का क्षण है। भारत के अंतरिक्ष इतिहास में 26 जून 2025 का दिन स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है। इस दिन आइएएक्स –4 मिशन के तहत अमेरिकी स्पेस एजेंसी स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से सफलतापूर्वक डॉक किया — और विशेष गौरव की बात यह रही कि इस मिशन में भारत के कप्तान शुभांशु शुक्ला ने भी भाग लिया। यह न केवल एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान, युवाओं की प्रतिभा और वैश्विक सहयोग की शक्ति का भी प्रतीक है। शुभांशु शुक्ला का यह अंतरिक्ष अभियान इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत अब केवल अंतरिक्ष अनुसंधान का दर्शक नहीं, बल्कि उसका सशक्त भागीदार बन चुका है।
एक दौर था जब भारत को अंतरिक्ष तकनीक के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था। परंतु आज भारत न केवल अपने उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेज रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय अभियानों में सक्रिय भागीदारी कर रहा है। शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान एमएल llभारत की उस ‘न्यू स्पेस इकोनॉमी’ का प्रतीक है जो अब स्टार्टअप्स, निजी क्षेत्र और वैश्विक सहयोग के सहारे नई ऊंचाइयाँ छू रही है। शुभांशु जैसे युवाओं की सफलता से देशभर के छात्रों और नवाचारियों को ऊर्जा मिलेगी। यह एक “साइंस इस कूल” युग की शुरुआत है, जहाँ विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वह स्कूल-कॉलेजों के कोनों में बैठे छात्रों की कल्पना को उड़ान देगा।
भारत के प्रधानमंत्री से लेकर इसरो के वैज्ञानिकों और आम जनता तक, हर कोई इस मिशन की सफलता को भारत के भविष्य की नींव मान रहा है। अब वह दिन दूर नहीं जब भारत न केवल चंद्रमा और मंगल पर उपस्थिति दर्ज कराएगा, बल्कि स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन और गहरे अंतरिक्ष मिशनों में अग्रणी भूमिका निभाएगा। आई ए एक्स 4 मिशन और शुभांशु शुक्ला की भागीदारी ने भारत के अंतरिक्ष सफर में एक नया अध्याय जोड़ा है। यह ऐतिहासिक पल केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं, आत्मविश्वास और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में उठाया गया एक सशक्त कदम है। शुभांशु शुक्ला के साथ क्रू मेंबर कमांडर पैगी व्हिटसन यूएसए अनुभवी अंतरिक्ष यात्री; यह उनका पाँचवाँ अंतरिक्ष मिशन है और दूसरी कमर्शियल यात्रा; आई एस एस पर कुल 675 दिन का रिकॉर्ड रखती हैं,
मिशन विशेषज्ञ स्वावोश उज़नास्की-विस्निएव्स्की पोलैंड में वैज्ञानिक और इंजीनियर और
मिशन विशेषज्ञ तिबोर कापु हंगरी से मैकेनिकल इंजीनियर है।
भारत के गौरव, शुभांशु शुक्ला सहित समस्त अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में सफलतापूर्वक पहुंचने पर हार्दिक शुभकामनाएं! आप सभी ने न केवल विज्ञान और मानवता की सेवा में एक साहसिक कदम उठाया है, बल्कि अपने-अपने राष्ट्रों की प्रतिष्ठा भी ऊँचाईयों तक पहुंचाई है।
“जय विज्ञान, जय भारत!”