तमाम आंकलन ध्वस्त…. भगवा फहराया शैलेश तिवारी
राजनैतिक पंडितो से लेकर ज्योतिषी तक… राजनीति के इस सेमीफाइनल को… भाजपा के पक्ष में नहीं बता रहे थे… सभी का आंकलन और गणनाएं भाजपा के खिलाफ जा रही थी… लेकिन जन के मन का कैलकुलेशन करना शायद उनके बूते के बात नहीं थी…. इसमें वह सभी विश्लेषक शामिल हैं जिनकी सोशल मीडिया पर अपनी एक साख है…. उनके अनुमानों को भी चुनाव परिणामों ने धता बता दिया… सारे अनुमान धराशाई हो गए…. मामा की उदार छवि ने फिर कमाल करते हुए… कमल खिला दिया… हालांकि चुनाव पूर्व कराए गए पार्टी के आंतरिक सर्वे ने पार्टी के कर्ता धर्ताओं के कान खड़े कर दिए थे… जिसके परिणाम स्वरूप… रणनीति नए सिरे से बनाई गई… भाजपा के एक जिम्मेदार पदाधिकारी ने फोन पर चर्चा में बताया कि… इस बार भाजपा ने चुनाव बिल्कुल अलग तरीके से लड़ा है… चुनाव पूर्व के हालात… और चुनाव परिणाम से महाभारत का एक किस्सा याद आता है….
महाभारत का … अठारह दिवसीय युद्ध चल रहा था… भीष्म पितामह सरशैया पर थे…. कौरवों को सेना की कमान द्रोणाचार्य के हाथ में थी….. गुरु द्रोण के रण कौशल के सामने… अर्जुन हतप्रभ थे… उनको पराजित करने का उपाय नहीं सूझ रहा था… तभी अर्जुन के सारथी और भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से एक वाक्य कहलवाया…. जो आम बोलचाल में इस तरह है कि… अश्वथामा मारा गया…. वह नर था या हाथी नहीं मालूम… और वाक्य के अंतिम शब्दों पर उन्होंने अपना पांचजन्य शंख फूंक दिया…. द्रोण के शस्त्र विहीन होते ही उन्हें पराजित करना आसान हो गया….।
मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के घोषित होने से लेकर… एग्जिट पोल आने तक… सभी ओपिनियन पोल और सर्वे… सहित कुछ भाजपा समर्थक भी कांग्रेस की सरकार आना तय मानते रहे…. 30 नवंबर को जब एग्जिट पोल आए … तो उसमें भी कुछ कांग्रेस को तो कुछ भाजपा की सरकार बनवाते नजर आए…. इनमें से चाणक्य का आज तक के लिए किया गया एग्जिट पोल जब भाजपा को 150 से ज्यादा सीटें देकर भारी बहुमत से सरकार बनाने लगा तो….. इसे कांग्रेसी और अन्य राजनैतिक विश्लेषक बालघाट जिले के स्ट्रोंगरूम में पोस्टल बैलेट पेपर मामले से जोड़कर बता रहे थे….खुद टीवी चैनल को भी इन पर यकीन नहीं हो रहा था… लेकिन आज ईवीएम खुलते ही नजारा वही नजर आने लगा….।
भाजपा की इस जीत को अब लाडली बहना योजना का कमाल माना जाएगा या शिवराज सरकार की सफलता… या फिर कांग्रेस का अति आत्म विश्वास.. जो उसे ले डूबा…. जनता कांग्रेस के वचन पत्र के मुद्दो …. यानि युवाओं को रोजगार… 450 का गैस सिलेंडर…. ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली आदि अनेकानेक जनता से जुड़े मुद्दों पर… एक अकेली लाडली बहना योजना क्या इतनी भारी पड़ सकती है…. इसके अलावा भी अन्य ढेर सारे कारण गिनते गिनाते सरकार भाजपा की बन जाएगी… लेकिन उसके सामने जो चुनौती होगी… वह भी हिमालय सी विशाल होगी… पहली यह कि मुख्यमंत्री कौन..? शिवराज या कोई और…? दूसरी लाडली बहना योजना को अभी अन्य मद से संचालित तो कर लिया… आगे के लिए फंड का इंतजाम कहां से होगा…. या प्रदेश की आर्थिक बदहाली को कैसे सुधारा जाएगा…। युवाओं को रोजगार के अवसर देने के उपाय क्या होंगे… महंगाई पर काबू पाने के लिए नई सरकार क्या कदम उठाएगी…? सबसे बड़ी बात यह भी है कि इस बार भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव नहीं लडा था…. यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही चेहरा थे… इस बात को भाजपा के नेशनल महा सचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पत्रकारों से बात करते हुए स्पष्ट भी किया था कि.. मुख्यमंत्री का फैसला आलाकमान करेगा…तो अगली बहस का पहला मुद्दा तो मिल ही गया है कि…. क्या शिवराज सिंह की पांचवीं बार ताजपोशी होगी… या कोई नया चेहरा प्रदेश का नेतृत्व करेगा….. ।
इन सब के बावजूद….. शिवराजसिंह चौहान का कद इस चुनाव ने बड़ा दिया है… मोदी के बाद शिवराज का नारा भी फिजा में तैरता दिखे … तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए….. क्योंकि चुनाव की शुरुआत में जिस तरह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें दरकिनार किया था… यह मध्यप्रदेश और इसकी जनता भूली नहीं है.. बाद में उन्होंने शिवराज की सक्रियता भी देखी… जहां जहां वह गए …. वहां के चुनाव परिणाम पलटे भी हैं…. लेकिन इस बार का चुनाव… बालाघाट, छतरपुर, दिमनी, मुरैना और ग्वालियर की घटनाओं के लिए याद भी रखा जाएगा… जहां चुनाव आयोग खामोश रहा…?