धर्मसीहोर

सीहोर की धरा पर हुआ राष्ट्र संत का आगमन, पांच दिवसीय प्रतिष्ठा पर्व आरंभ

धन्य हुई सीहोर की धरा....

सीहोर नगर साक्षी बनने जा रहा है प्रतिष्ठा महोत्सव के अपूर्व अवसर का,
राष्ट्र संत परम पूज्य आचार्य श्री विश्वरत्न जी महाराज साहब का मंगलमय नगर आगमन

सीहोर, 27 नवंबर 2025
एमपी मीडिया पॉइंट

नगर में कस्बा तथा छावनी मे जैन श्वेतांबर समाज के दो अति प्राचीन जिनालय विराजमान है। जिनका जिणो॔ंद्धार होने के बाद नवीन सुंदर और भव्य रूप में प्रतिष्ठा महोत्सव का पांच दिवसीय आयोजन आज से प्रारंभ हुआ।
दोनों ही प्राचीन जिनालयों में श्री पार्श्वनाथ प्रभु की प्राचीन प्रतिमाओं के साथ नवीन जिन बिंबो की भी प्रतिष्ठा संपन्न होगी।

प्रतिष्ठा महोत्सव राष्ट्र संत परम पूज्य आचार्य श्री विश्वरत्न जी महाराज साहब की शुभा नीश्रा एवं मार्गदर्शन में संपन्न होगा।
पूज्य आचार्य श्री प्रतिष्ठा महोत्सव हेतु इंदौर से पैदल उग्र बिहार कर सीहोर नगर में पधार चुके हैं।
आज जैन समाज के लोगों के साथ नगर वासियों ने आचार्य श्री की भव्य एवं आत्मीय आगवानी की।

आचार्य श्री की अमृतवाणी
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सीहोर नगर में चरखा लाइन स्थित संत निवास में समाज जनों को प्रवचन प्रदान करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि अनेक जन्मों के सामूहिक पुण्यों का जीवन में जब उदय होता है तब इस तरह के पुण्यशाली आयोजन में शामिल होने का
अवसर मिलता है।
जब प्रबल पुण्यों का उदय होता है तब प्रतिष्ठा करवाने का सौभाग्य मिलता है। सीहोर वासी भाग्यशाली है जिन्हें यह अवसर प्राप्त हुआ है। जिसका पूर्ण रूप से लाभ उठावें ।

राजेश शर्मा

राजेश शर्मा मप्र से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के हिंदी दैनिक अख़बारों- दैनिक भास्कर नवभारत, नईदुनिया,दैनिक जागरण,पत्रिका,मुंबई से प्रकाशित धर्मयुग, दिनमान के पत्रकार रहे, करीब पांच शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक चैनलों में भी बतौर रिपोर्टर के हाथ आजमाए। वर्तमान मे 'एमपी मीडिया पॉइंट' वेब मीडिया एवं यूट्यूब चैनल के प्रधान संपादक पद पर कार्यरत हैं। आप इतिहासकार भी है। श्री शर्मा द्वारा लिखित "पूर्वकालिक इछावर की परिक्रमा" इतिहास एवं शोध पर आधारित है। जो सीहोर जिले के संदर्भ में प्रकाशित पहली एवं बेहद लोकप्रिय एकमात्र पुस्तक में शुमार हैं। बीएससी(गणित) एवं एमए(राजनीति शास्त्र) मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के पश्चात आध्यात्म की ओर रुख किए हुए है। उनके त्वरित टिप्पणियों,समसामयिक लेखों,व्यंगों एवं सम्पादकीय को काफी सराहा जाता है। सामाजिक विसंगतियों, राजनीति में धर्म का प्रवेश,वंशवाद की राजसी राजनिति जैसे स्तम्भों को पाठक काफी दिलचस्पी से पढतें है। जबकि राजेश शर्मा खुद अपने परिचय में लिखते हैं कि "मै एक सतत् विद्यार्थी हूं" और अभी तो हम चलना सीख रहे है..... शैलेश तिवारी

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