इछावर में कांग्रेस का कीमती विकेट गिरा : शहर अध्यक्ष सादिक ने “पद” को कहा ‘अलविदा’ , सादिक मेव पहले अध्यक्ष हैं जिन्होंने इस्तीफा दिया
त्वरित विचार

पार्टी के अंदरूनी हालातों से ख़फा थे सादिक मेव,
इछावर में कांग्रेस का कीमती विकेट गिरा : शहर अध्यक्ष सादिक ने “पद” को कहा ‘अलविदा’ ,
सादिक मेव पहले अध्यक्ष हैं जिन्होंने इस्तीफा दिया
राजेश शर्मा
त्वरित विचार
बात यहां से शुरु करते हैं कि….चाहे वो किसी भी राजनितिक दल का नेता हो उसका निर्माण दो तरीके से होता है एक तो पैसे के बल पर दूसरा पैरों के छालों के बल पर।
नेता पहले कार्यकर्ता होता है,फिर अपने दल में उच्च नेता को रोल मॉडल चुनता है। फिर उसके कहे अनुसार दरी बिछाता-उठाता रहता है। तन का पसीना पोंछते हुए पैरों के छाले बताता और फिर वह, कहीं किसी पद पर विराजमान हो जाता है। खु़दा-ना-ख़ास्ता पार्टी की सरकार गिर जाए या हार जाए तो उसी नेता का पद सिर्फ़ बेजान तमगा के सिवाए कुछ नहीं रहता। अपितु वह सत्ता पक्ष के नेताओं का टारगेट जरुर बन जाता है जिसका खामियाजा़ खुद तो उठाता ही है साथ ही उसके अदने से कार्यकर्ताओं तक को भी वक्त-वक्त पर नीचा देखकर उठाना पड़ता है।
सीहोर जिले में संक्रमण काल से गुजर रही कांग्रेस को आज इछावर में उस समय जोर का झटका लगा जब शहर कांग्रेस अध्यक्ष सादिक मेव ने अपने “पद” को त्याग ने की घोषणा कर डाली। फेसबुक के माध्यम से पब्लिक और पत्र के माध्यम से ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बलवान पटेल को अपने फैसले से अवगत कराया। उनकी सादिकी का पसीना और पैरों के छालों को कांग्रेस आज भले ही नहीं देख पायी। लेकिन इस झटके से पार्टी की इछावर स्थित इमारतें जरुर दरारें बयां कर रही हैं।
यहां खासबात यह भी है कि सन् 1985 से लगाकर आज तक इछावर में पांच शहर कांग्रेस अध्यक्ष अनिल राठी,कमर खां मंसूरी,सुनील चांडक,राजा मंसूरी एवं सादिक मेव रहे। इनमें से केवल सादिक मेव ही हैं जिन्होंने डंके की चोट पर “पद” से इस्तीफा देते हुए कांग्रेस को पहला सबक सिखाया…हालांकि राजनीति में “रुठने-मनाने” की परंपरा पुरानी है जिसके इस बार भी अनुसरण की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। सादिक के नाम एक रिकॉर्ड यह भी है कि वह लगातार तीन मर्तबा नगर परिषद इछावर में पार्षद पद जीते हैं।
फिर भी इस फैसले को लेकर जब सादिक मेव को टटोला गया तो पहले तो उन्होंने मंझे हुए नेता की तरह अपनी वांणी को बेहद संयमित रखते हुए कहा कि पारिवारिक कामकाज और व्यवसायिक व्यवस्थाओं के कारण पद के अनुकूल जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहा था इसलिए पद त्याग दिया। कांग्रेस पार्टी में एक आम कार्यकर्ता के रुप में सेवाएं देता रहूंगा।
लेकिन सादिक मेव इस बात के सवाल पर उलझ गए कि क्या आपके समर्थक आपको पदविहीन देखने में ख़ुशी महसूस करेंगे ? क्या आपने इस निर्णय को लेने से पहले अपने समर्थकों से बातचीत की ? आप लगातार दो मर्तबा पार्षद भी रहे, क्या वार्ड वासियों से सलाह मशवीरा किया ?
तब लाइन पर आते हुए वह बोले- मेरे नाम सादिक का ही अर्थ ‘सत्यवादी’ और ‘ईमानदारी’ है। मैं ईमान से समझोता नहीं कर सकता। काम के टाइम पार्टी के बड़े नेता मेरा इस्तेमाल करते है और काम निकलने के बाद पहचान ने से भी इंकार कर देते हैं। आगे पाठ पीछे सपाट वाली कहावत को चरितार्थ करते रहते हैं। तो ऐसे पद पर बने रहने से क्या ?
मेरे लहज़े से समझ जाइए कि बड़े नेताओं ने बड़े पद हथियाने के लालच में ज़मीनी कार्यकर्ताओं का यकीन खो दिया है। उनकी स्वार्थ सिद्धि की नेतागिरी बेनकाब होती जा रही है। पैसों से ‘टिकट’ खरीदा और चुनाव लड़ा जा सकता है लेकिन पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को छोड़ कर नहीं…., शहर स्तर के पदाधिकारियों से काम करवाइए लेकिन फ़ालतू का श्रम नहीं आप भी उनके साथ काम बंटवाइए,फोटो खिंचवाइए और फिर देखिए कांग्रेस में जान कैसे नहीं फुंकती!! मसलन “यूज़ एंड थ्रो” वाला फार्मूला नहीं होना चाहिए। कांग्रेस पार्टी के कोई बड़े नेता इछावर में आते हैं तो क्या नगर के शो-रुमों के अलावा उनके लिये सभी कांग्रेसियों के दरवाज़े बंद हैं ? तो फिर जाइए उन्ही से “वोट चोर-गद्दी छोड़” फार्म भरवाइए, उसमें कौन सी मनादी है।
पिछले दो-तीन वर्षों से इछावर विधानसभा के अंदर कांग्रेस में क्या अंदरूनी स्थिति बनी हुई इस बात से अब बच्चा-बच्चा वाकिफ़ है। जिन्हें बड़े विश्वास से पार्टी ने टिकट देकर लड़वाया था वो नेता कहां हैं ?
कांग्रेस के लिए सीहोर जिले जैसे संवेदनशील विधानसभा क्षेत्रों के लिए फूंक-फूंक कर कदम रखना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जिले की चारों सीटें भाजपा की झोली में हैं। बुधनी सीट शिवराज सिंह चौहान और इछावर करण सिंह वर्मा के नाम से पूरे देश में जानी जाती है। सीहोर-आष्टा तो “जाने-आने” के लिए खुख्यात है। “सादिकी” वाले नेताओं के पद छोड़ने का क्रम यदि इछावर से चलकर सीहोर जिले में फैल गया तो निर्जीव कांग्रेस में जान फूंकने के लिए “अमेरिका” वाले भी कुछ नहीं कर पाएंगे..