कार्तिकेय चौहान लड़ेंगे बुधनी से विस चुनाव?
शैलेश तिवारी
बीते वक्त पर नजर डालें तो सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में उनके पुत्र कार्तिकेय चौहान की सक्रियता बढ़ गई। क्रिकेट टूर्नामेंट हो या अन्य कोई आयोजन अथवा कोई और मौका , कार्तिकेय का बुधनी विधानसभा क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रहना जनचर्चा का विषय बनता रहा लेकिन उनसे ज्यादा उनके सीएम पिता शिवराज जी का हर छोटे बड़े अवसरों पर अपनी विधानसभा में आते रहना इन कयास को अल्प विराम देता रहा।
कहा जाता है राजनीति में मंजर बदलने में देर नहीं लगती है, अब लगभग वही स्थिति प्रदेश के राजनैतिक परिदृश्य में नजर आने लगी है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अभी तक तीन सूचियों के माध्यम से 79 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। पहली सूची ने जहां भाजपा में अंदरूनी विरोध को सतह पर ला दिया तो आला कमान के कान खड़े हो गए।
दूसरी सूची ने अंतर्कलह को विराम दिया तो सूची में शामिल तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ अन्य चार सांसद सहित एक कद्दावर नेता के नाम ने राजनीतिक हलकों में नई बहसों को जन्म दे दिया। इसी सूची में लगभग चार ऐसे नाम शामिल हैं जो सीएम बनने की महत्वाकांक्षा लंबे समय से पाले हुए हैं। इन नामों में नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह और कैलाश विजयवर्गीय के नाम प्रमुखता से लिए जा सकते हैं।
यहीं से सीएम शिवराज सिंह को दरकिनार करने की चर्चा चल पड़ी। इन चर्चाओं को बल इसलिए और मिलने लगा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी होने के बाद केबिनेट मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई और उसमें अपने सभी राजनैतिक सहयोगियों ,अधिकारियों और स्टाफ के सहयोग के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी होने के बाद राजनैतिक विश्लेषकों द्वारा नाना प्रकार के मतलब और मायने निकाले जा रहे हैं।
चूंकि शिवराज चौहान को आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करना और अभी तक जारी उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम शामिल नहीं होना राजनीति के गलियारों में गर्मा रहा है।
इसी बीच पड़ोसी राज्य राजस्थान में वहां की भाजपा क्षत्रप वसुंधरा राजे को दिया गया प्रस्ताव भी मध्यप्रदेश में तेजी से चलने लगा कि वे अपने पुत्र को विधायकी का चुनाव लड़ाएं और वे स्वयं केंद्र की राजनीति में शामिल हो जाएं।
कहीं ऐसा ही प्रस्ताव भाजपा आलाकमान के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा शिवराज सिंह चौहान को तो नहीं सौंपा गया है। जिसके चलते उन्होंने अपने राजनैतिक सहयोगियों, अधिकारियों और स्टाफ का आभार व्यक्त कर दिया गया है।
हालांकि जानकार यह भी बताते हैं कि प्रदेश में शिवराज के बिना चुनावी वैतरणी पार करना भाजपा के लिए बहुत आसान नहीं रहेगा। उनका यह तर्क भी है कि अगर ऐसा होता तो गुजरात की तरह यहां भी मुख्यमंत्री को बहुत पहले बदल दिया गया होता लेकिन शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ 18 साल लंबे कार्यकाल की एंटीएंकबेसी पर भी केंद्रीय नेतृत्व ने ध्यान दिया है।
बहरहाल इन तमाम अटकलों और चर्चाओं में यह बिंदु भी उभरा कि उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह चौहान भी सक्रिय राजनीति में उतर सकती हैं लेकिन पुत्र कार्तिकेय की बुधनी में लंबी सक्रियता और राजस्थान पैटर्न पर सीएम शिवराज सिंह चौहान को अपुष्ट प्रस्ताव भी कार्तिकेय चौहान को बुधनी विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रत्याशी घोषित होने की तरफ इशारा तो करते हैं।
शैलेश तिवारी