इस बार अपने ही स्वयं के दिवस बुधवार को विराजेंगे गणपति महाराज, भारत का सबसे पुराना गणेश मंदिर और दुनियां की सबसे ऊंची गणेश प्रतिमा…..
धर्म-विशेष

इस बार अपने ही स्वयं के दिवस बुधवार को विराजेंगे गणपति महाराज, भारत का सबसे पुराना गणेश मंदिर और दुनियां की सबसे ऊंची गणेश प्रतिमा…..
धर्म डेस्क, एमपी मीडिया पॉइंट
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। समूचे राष्ट्र की बात की जाए तो गणेशोत्सव मनाने के मामले मे महाराष्ट्र एवं गुजरात प्रांत अद्वितीय है।
गणेश चतुर्थी के दिन लोग शहर-गांवों के मुख्य स्थानों, मोहल्लों एवं घरों में गणपति की प्रतिमा की स्थापना करते हैं। हिंदू धर्मावलंबी 10 दिन के लिए घर में गणपति को विराजमान करते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिवस गणपतिजी को विदाई देकर उनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी दिनंक, पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त, सामग्री की सूचि और मंत्र…
मुहूर्त–
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 26, 2025 को 01:54 pm बजे,
चतुर्थी तिथि समाप्त- अगस्त 27, 2025 को 03:44 pm बजे
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त –
11:05 am से 01:40 pm
अवधि – 02 घण्टे 34 मिनट्स
पूजा-विधि
सुबह जल्दी स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। घर में गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना करें। गणपति भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं। भगवान गणेश को पुष्प, दूर्वा, घास भी अर्पित करें। इसके बाद गणेश जी की आरती करें और गणेश जी को भोग भी लगाएं। लड्डूओं का भोग अवश्य ही लगाएं।
आवश्यक पूजा सामग्री-
भगवान गणेश की प्रतिमा, लाल कपड़ा, दूर्वा, जनेऊ, कलश, नारियल, पंचामृत, पंचमेवा, गंगाजल, रोली, मौली लाल।
मंत्र- ॐ गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें।
भोग- मोदक और लड्डू का लगाएं
भगवान गणेश की पूजा में घी का इस्तेमाल करें क्योंकि भगवान गणेश को घी काफी पसंद है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा में घी को जरूर शामिल करें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घी को पुष्टिवर्धक और रोगनाशक कहा जाता है। जो व्यक्ति भगवान गणेश की पूजा घी से करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
अलावा इन सब के आपको बताते चलें कि गणपति महाराज एकमात्र देवता हैं जो रिद्दि-सिद्दि के दाता माने जाते हैं। आपकी माता-पिता भक्ति कथा का जो स्मरण करते हैं उन्हें असंख्य पुण्यों की प्राप्ति होती है। पार्वतीनंदन गजानंद महाराज बेहद सरल और सहज स्वभाव के देवता हैं। और अल्प पूजा-पाठ से अतिशीघ्र अत्यधिक प्रसन्न होने वाले देवता हैं। सर्वप्रथम उन्हीं की पूजा से सभी शुभ कार्य निर्विघ्न पूर्ण होते हैं। और अनंत फलों की प्राप्ति होती है।
बता दें कि शहर मोहल्लों में जिन सार्वजनिक स्थानों पर भी श्रीगणेश प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं वहां पहुंचकर अवश्य ही यथाशक्ति दान करना चाहिए। विसर्जन के चल समारोह में चार कदम ही सहीं लेकिन पैदल जरुर साथ चलना (शामिल) होना चाहिए। माता पार्वती एवं महादेव जी का स्मरण भी इस दौरान बहुत शुभ फलदायी माना जाता है।
भारत का सबसे पुराना गणेश मंदिर रणथम्भौर (राजस्थान) में जिसे 1300 ईस्वी मे बनवाया गया था। और दुनिया की सबसे ऊंची गणेश मूर्ति जो 128 फीट की, थाईलैंड के ख्लोंग खुएन में स्थित है। गणेशजी के चार धाम माने जाते हैं जिनमे दो मध्यप्रदेश एवं दो राजस्थान में स्थित है।
और अंत में एकबार फिर
ॐ गं गणपतेय नम:
अर्थात् मैं भगवान गणेश को नमन करता/करती हूँ, जो सभी बाधाओं को दूर करने वाले हैं और सफलता के प्रतीक हैं।



