मासूम दीक्षा की मौत समूचे समाज को दे गई शिक्षा- “जागो जन जागो” ..जागने वाला प्रशासन नहीं है- राजेश शर्मा
त्वरित विचार

मासूम दीक्षा की मौत समूचे समाज को दे गई शिक्षा- “जागो जन जागो” ..जागने वाला प्रशासन नहीं है
छिंदवाड़ा कफ सायरप कांड के बाद अब सीहोर जिले में मौत के सामान पर लगाम..बस इतना ही काफी है क्या ?
त्वरित विचार. राजेश शर्मा
दो वर्षीय बालिका दीक्षा की मौत समूचे समाज को शिक्षा दे गई कि “जागो जन जागो” ..जागने वाला प्रशासन नहीं है, मैं हमेशा के लिए सो रही हूं लेकिन मेरी मासूम जुबां से तुम्हे जागते रहने का कठोर संदेश देती जा रही हूं…
सीहोर जिले के श्यामपुर ब्लॉक के छोटे से गांव पीपलिया मीरा की रहने वाली दो वर्षीय बालिका दीक्षा पिता कन्हैयालाल कुशवाहा की कल 07 अक्तूबर को भोपाल के मनन चाइल्ड केयर हॉस्पिटल में मौत हो गई थी। वह पांच दिन तक उक्त अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझकर अंततः हार गई थी।
परिजन बताते हैं कि दीक्षा को घर पर ही सर्दी-बुखार की तकलीफ हुई थी जिसे डॉक्टर को दिखाने घर वाले करीब 3 किलोमीटर निकटस्थ मुस्कान अस्पताल बरखेड़ी पहुंचे थे। जहां मौजूद कथित डॉक्टर अशोक विश्वकर्मा ने बच्ची को एक इंजेक्शन लगाया जिसके बाद अचानक दीक्षा की तबियत बिगड़ गई और तुरंत बच्ची के चाचा गजराज कुशवाहा सहित परिजन उसे लेकर जिला चिकित्सालय सीहोर पहुंचे लेकिन गंभीर हालत के कारण दीक्षा को सीहोर से भोपाल रेफर कर दिया गया था, भोपाल में ही पांच दिन चले उपचार के बाद मासूम दीक्षा ने अंतिम सांस ली और संसार अलविदा कह दिया।
परिजनों के शोर-शराबे की आवाज़ मीडिया के ज़रिए प्रशासन तक पहुंची। 4 अक्टूबर को दीक्षा के चाचा ने व्यथा-कथा थाने पहुंच कर पुलिस को सुनाई। कार्रवाई ने रेंगना शुरु ही किया था कि कल मंगलवार को दीक्षा ने हमेशा के लिए हौंश खो दिया।
प्रशासन की रेंगती कार्रवाई को दीक्षा की मौत ने गति दिखाई और आज बुधवार को अवैधानिक रुप से संचालित मुस्कान अस्पताल को सील कर संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। सीएमएचओ डॉ सुधीर कुमार डेहरिया ने 5 सदस्यीय जांच समिति का भी गठन किया है। जिसे प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है।
“छिंदवाड़ा कफ सायरप कांड” देश में चर्चित चल रहा है लेकिन ताजा सीहोर के इस मामले में अब सवाल यह उठता है कि जिस मुस्कान अस्पताल को विगत 12 दिसंबर 2024 को भी सील किया गया तो उसकी सील किसने,किसके इशारे पर, किस आधार पर फिर कब खोली और क्यों खोली….क्या यह जांच का विषय नहीं है ?
बात की जाए तो आज समूचे सीहोर जिले में चप्पे-चप्पे पर फर्जी क्लिनिक, फलां नर्सिंग होम, ढिमका अस्पताल, दवाखाना..आदि की बाढ़ आयी हुई है। भोले-भाले ग्रामीण इनके बिछाए जाल में इसलिए फंस जाते हैं क्योंकि तुरत-फुरत उपचार के लिए उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं होता। घटिया इलाज और घटिया कंपनी की दवाइयां जब रिएक्शन मारती हैं तो दीक्षा जैसी कई जिंदगानियां मौत के मुंह में समा चुकी होती हैं क्योंकि माकूल इलाज शुरु होने में तब तक काफी देरी हो चुकी होती है।
स्वास्थ्य विभाग,पुलिस एवं प्रशासन जागे न जागे लेकिन आम नागरिकों को जागना होगा। क्योंकि शासन तो नशा मुक्ति जनजाग्रति अभियान चलाता रहता है लेकिन “फर्जी चिकित्सालय जन जाग्रति” अभियान से उसे कोई मतलब नहीं। क्या शासन इस बात से वाकिफ नहीं कि मौत वाहन दुर्घटना, नशीले पदार्थों के अलावा भी…होती है। गलत इलाज से मौत ही हो.. यह भी जरुरी नहीं, लेकिन गलत इलाज भी शरीर के लिए धीमा ज़हर है यह कम तो नहीं!!
मासूम दीक्षा जाते-जाते जरुर यह शिक्षा दे गई कि शासन के अभियान की प्रतीक्षा मत करो…..”जागो जन जागो”