Blog

उज्जैन के प्राचीन कुबेर मंदिर का अत्यंत आध्यात्मिक महत्व, संदीपनी आश्रम में है प्राचीन प्रतिमा

धनतेरस विशेष

  • उज्जैन के प्राचीन कुबेर मंदिर का अत्यंत आध्यात्मिक महत्व, संदीपनी आश्रम में है प्राचीन प्रतिमा
  • उज्जैन,18 अक्तूबर, 2025
    एमपी मीडिया पॉइंट

दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले धनतेरस पर्व पर धन के देवता कुबेर भगवान की पूजा का विशेष महत्व होता है. यही वजह है कि मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित कुबेर मंदिर में प्रत्येक वर्ष धनतेरस के अवसर पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

मान्यता है कि संदीपनी आश्रम में विराजित कुबेर जी की इस प्राचीन प्रतिमा की स्थापना स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने की थी.

सर्वविदित है कि उज्जैन में मंगलनाथ मार्ग पर महर्षि संदीपनी का आश्रम है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी. आश्रम परिसर स्थित श्रीकृष्ण बलराम मंदिर के पास ही 84 महादेव में से 40वें नंबर के कुंडेश्वर महादेव का मंदिर है. इसी मंदिर के गर्भ गृह में कुबेर देवता की यह प्राचीन प्रतिमा स्थापित है. इस मंदिर की छत भी विशेष है, जो श्री यंत्र की आकृति की बनी हुई है.

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस पर यहां कुबेर जी की पूजा कर उनके पेट पर इत्र लगाने से घर-परिवार में समृद्धि आती है. यही कारण है कि देश भर से लोग यहां आकर दर्शन करते हैं और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं. शनिवार को धनतेरस के विशेष अवसर पर यहां दो बार विशेष आरती की जाएगी, जिसमें सूखे मेवे, इत्र, मिष्ठान और फल का भोग लगाया जाएगा. ऐसी भी मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से ही धन की प्राप्ति होती है. मंदिर के द्वार पर खड़े नंदी की अद्भुत प्रतिमा भी भक्तों के आकर्षण का केंद्र है.

इस प्राचीन प्रतिमा से जुड़ी कथा प्रचलित है कि जब भगवान श्रीकृष्ण महर्षि सान्दीपनि के आश्रम से अपनी शिक्षा पूरी कर द्वारका जाने लगे, तब गुरु दक्षिणा देने के लिए कुबेर धन लेकर आए थे. लेकिन गुरु-माता ने श्रीकृष्ण से कहा कि उनके पुत्र का शंखासुर राक्षस ने हरण कर लिया है. उन्होंने श्रीकृष्ण से गुरु पुत्र को वापस लाने की गुरु दक्षिणा मांगी. श्रीकृष्ण ने गुरु पुत्र को राक्षस से मुक्त कराकर गुरु-माता को सौंप दिया और फिर स्वयं द्वारका चले गए. इस घटना के बाद कुबेर आश्रम में ही बैठे रह गए. यही कारण है कि यहां कुबेर की प्रतिमा बैठी हुई मुद्रा (आसन) में है.

ऐसा माना जाता है कि मंदिर में विराजित कुबेर जी की यह प्रतिमा मध्य कालीन है और लगभग 800 से 1100 वर्ष पुरानी है. इसे शंगु काल के उच्च कोटि के शिल्पकारों ने बेसाल्ट पत्थर से बनाया था. करीब 3.5 फीट ऊंची इस प्रतिमा के चार हाथ हैं, जिसमें दो हाथों में धन है, एक हाथ में सोम पात्र और एक हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है. प्रतिमा की तीखी नाक, उभरा पेट और शरीर पर सजे अलंकार कुबेर जी के स्वरूप को अत्यंत आकर्षक बनाते हैं.

देश में सिर्फ तीन स्थानों पर विराजित हैं प्राचीन कुबेर देव प्रतिमा

पुख्ता जानकारी अनुसार, कुबेर जी की इस तरह की प्राचीन प्रतिमा देश में सिर्फ तीन जगहों पर विराजित है: उत्तर, दक्षिण और मध्य भारत में उज्जैन. इस वजह से भी उज्जैन के इस कुबेर मंदिर का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। वैसे भी उज्जैन सनातन धर्मावलंबियों में पांचवें तीर्थ स्थल के रुप में माना जाता है।

राजेश शर्मा

राजेश शर्मा मप्र से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के हिंदी दैनिक अख़बारों- दैनिक भास्कर नवभारत, नईदुनिया,दैनिक जागरण,पत्रिका,मुंबई से प्रकाशित धर्मयुग, दिनमान के पत्रकार रहे, करीब पांच शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक चैनलों में भी बतौर रिपोर्टर के हाथ आजमाए। वर्तमान मे 'एमपी मीडिया पॉइंट' वेब मीडिया एवं यूट्यूब चैनल के प्रधान संपादक पद पर कार्यरत हैं। आप इतिहासकार भी है। श्री शर्मा द्वारा लिखित "पूर्वकालिक इछावर की परिक्रमा" इतिहास एवं शोध पर आधारित है। जो सीहोर जिले के संदर्भ में प्रकाशित पहली एवं बेहद लोकप्रिय एकमात्र पुस्तक में शुमार हैं। बीएससी(गणित) एवं एमए(राजनीति शास्त्र) मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के पश्चात आध्यात्म की ओर रुख किए हुए है। उनके त्वरित टिप्पणियों,समसामयिक लेखों,व्यंगों एवं सम्पादकीय को काफी सराहा जाता है। सामाजिक विसंगतियों, राजनीति में धर्म का प्रवेश,वंशवाद की राजसी राजनिति जैसे स्तम्भों को पाठक काफी दिलचस्पी से पढतें है। जबकि राजेश शर्मा खुद अपने परिचय में लिखते हैं कि "मै एक सतत् विद्यार्थी हूं" और अभी तो हम चलना सीख रहे है..... शैलेश तिवारी

Related Articles

Back to top button