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“प्रसंग वश” भगवान श्री नेमिनाथ जन्म कल्याणक

लेख

“प्रसंग वश”
भगवान श्री नेमिनाथ जन्म कल्याणक

जयंत शाह
(संपादक एमपी मीडिया पॉइंट)

आज दिनांक 9 अगस्त 2024 श्रावण शुक्ला पंचमी तिथि विश्व को अहिंसा एवं संयम का मार्ग प्रशस्त करने वाले जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान श्री नेमिनाथ का जन्म कल्याणक है।
इस पावन अवसर पर भगवान श्री नेमिनाथ से जुड़े हुए तीर्थो के दर्शन करने का प्रयास करते हैं।
जैन परंपरा के 22 वें तीर्थंकर
भगवान श्री पार्श्वनाथ से 81000 वर्ष पूर्व उत्तर भारत के शहर
शौरीपुर में पिता यदुवंश के राजा समुद्र विजय और माता शिवा देवी के घर पर हुआ था।
भगवान श्री नेमिनाथ की जन्मस्थली शौरीपुर आगरा से 80 किलोमीटर की दूरी और इटावा से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
माना जाता है कि सहस्त्रौं वर्ष पूर्व यमुना तट पर शौरीपुर एक विशाल नगरी थी। इस नगरी को महाराज सुरसेन ने बसाया था। उन्हीं की वंश परंपरा में महाराजा समुद्र विजय हुए। वे दस भाई थे उनमें छोटे वासुदेव थे। जिनके पुत्र भगवान श्री कृष्ण थे। कुंती और माद्री महाराज समुद्र विजय की बहने थी। जिनका विवाह महाराज पांडु से हुआ था। जैन तीर्थंकर भगवान श्री नेमिनाथ और भगवान श्री कृष्ण दोनों चचेरे भाई थे।
सौरीपुर में भगवान नेमिनाथ का
जन्म स्थान है।

घोर तपस्या के पश्चात पाया कैवल्य
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भगवान नेमिनाथ बचपन से ही विरक्त प्रकृति के थे। जूनागढ़ के राजा उग्रसेन की पुत्री के साथ उनका विवाह निश्चित हुआ था। विवाह के लिए जाते समय विवाह निमित्त भोजन में अनेक पशुओं का वध होने वाला था। अनेक मुक पशुओं के रुदन से दुखी होकर राजकुमार नेमि ने कंकड़ आदि बंधन तोड़ फेके और गिरनार पर्वत की पर जाकर दीक्षा ग्रहण कर ली।
तत्पश्चात घोर तपस्या कर श्री नेमिनाथ जी ने कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया। और अनेक देशों में विहार कर अहिंसा परमो धर्म का उपदेश दिया।
अंत में गिरनार पर्वत पर ही निवाऀण प्राप्त किया ।
श्री गिरनार तीर्थ
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गुजरात प्रदेश में सौराष्ट्र क्षेत्र के जूनागढ़ शहर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर एक भव्य और दिव्या पर्वत पर गिरनार पवित्र तीर्थ विद्यमान है। गिरनार पर्वत की पांचवीं चोटी को नेमी शिखर के नाम से पहचाना जाता है। यहां भगवान श्री नेमिनाथ की पादुका हैं।
यहां पर स्थित भव्य जैन मंदिर में भगवान श्री नेमिनाथ जी की
श्याम वर्ण की 140 से. भी.
पद्मासनस्थ प्रतिमा स्थापित है।
दिगंबर मंदिर में भी श्याम वर्ण प्रतिमा स्थापित है।

सीहोर के आष्टा में भी सुंदर मंदिर
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मेरे शहर सीहोर से लगभग 45 किलोमीटर दूर आस्था की नगरी
आष्टा में भी सुंदर और आकर्षक
श्री भगवान नेमिनाथ का मंदिर है।
जिसे मालवा गिरनार के नाम से जाना जाता है।
जिसे किला मंदिर भी कहते हैं।
इस सुंदर मंदिर में श्री नेमीनाथ भगवान की चिताकर्षक प्रतिमा के साथ ही परिक्रमा में आगामी चोवीसी की प्रतिमाओं के भी दर्शन का लाभ मिलता है।
भगवान श्री नेमिनाथ जन्म कल्याण
के अवसर पर सादर जय जिनेंद्र प्रणाम 🙏🙏

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