कुबेरेश्वर धाम मध्यप्रदेश : एक गुरु का कर्तव्य है कि वह ज्ञान को बिना किसी भेदभाव के सभी तक पहुंचाए, – अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा
प्रवचन

कुबेरेश्वर धाम मध्यप्रदेश : सनातन धर्म हमें एक नैतिक और आध्यात्मिक जीवन जीने का मार्ग दिखाता….एक गुरु का कर्तव्य है कि वह ज्ञान को बिना किसी भेदभाव के सभी तक पहुंचाए
– अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा
सीहोर(राजेश शर्मा), 08 जुलाई 2025
एमपी मीडिया पॉइंट
सनातन धर्म हमें एक नैतिक और आध्यात्मिक जीवन जीने का मार्ग दिखाता है, जो न केवल व्यक्तिगत कल्याण के लिए, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए भी आवश्यक है। सनातन धर्म से लगाव होना चाहिए। पूरे विश्व में धर्म है तो केवल सनातन धर्म है। बाकी सब मजहब है। माना विज्ञान ने काफी तरक्की की है, लेकिन आज भी सबसे बड़ा है तो केवल हमारा महादेव, जो ज्योति के रूप में सबके कार्य पूर्ण करता है, सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। उक्तोद्गार जिला मुख्यालय स्थित प्रसिद्ध कुबेरेश्वरधाम पर जारी छह दिवसीय भव्य गुरु पूर्णिमा महोत्सव के अंतर्गत पांच दिवसीय श्री शिव महापुराण के चौथे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पण्डित प्रदीप मिश्रा ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि शिव महापुराण कथा कहती है कि लगाव और विश्वास हमारे जीवन को सार्थक करता है। आपका लगाव किससे है और आपका विश्वास किस पर है, यह आप सुनिश्चित करते है। अगर आपका विश्वास भगवान शिव पर अटूट है तो आपकी संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
हमें हमारे धर्म से लगाव होना चाहिए। सनातन धर्म के अनुसार, जीवन का उद्देश्य आत्मा और परमात्मा को समझना है। यह धर्म, परिवार और समाज के सभी चार पहलुओं को व्यक्ति के आध्यात्मिक पथ के महत्वपूर्ण भागों के रूप में मान्यता देता है। वर्तमान में विज्ञान ने बहुत ही तरक्की की है, लेकिन मुत्यु पर किसी की जीत नहीं एक डाक्टर भी अंत में कह देता है मेरे हाथ में कुछ भी नहीं है, सब ईश्वर के हाथ में है।
मंगलवार को कथा के दौरान यहां पर करीब 18 किलोमीटर दंडवत कर आने वाले श्रद्धालुओं का मंच पर बुलाकर पं. मिश्रा ने सम्मान किया। राजस्थान के कोटा, मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और महाराष्ट्र से आए परिवार को मंच पर स्वागत किया गया।
यहां पर आए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का कहना है कि हमारे संकट शिव पर विश्वास के साथ कथा सुनने के बाद दूर हो गए। वे यहां पर चिट्ठियां लिखकर भी लाते हैं। वह कहते हैं कि जो काम दवाई नहीं कर पाई वो पंडित जी की कथा सुनकर भगवान भोले को एक लोटा जल अर्पित करने से पूरी हो गई। पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपनी कथा में ऐसे कई श्रद्धालुओं की चिट्ठियां का जिक्र किया। मंगलवार को कथा के दौरान सीहोर के इंदौर नाके क्षेत्र में रहने वाली एक बेटी का पत्र पढ़कर सुनाया। जिसमें लिखा था-बाबा पर विश्वास के कारण उनको संतान की प्राप्ति हुई है। वह धाम पर आई और सेवा के साथ पूजा अर्चना की और उसके बाद भगवान शंकर ने संतान का सुख प्रदान किया। इस तरह के अनेक पत्रों का वर्णन गुरुदेव ने अपनी कथा के दौरान किया।
एक गुरु का कर्तव्य है कि वह ज्ञान को सभी तक पहुंचाए, बिना किसी भेदभाव के। वहीं सर्वश्रेष्ठ गुरु का लक्षण है। गुरु कभी भी अमीर और गरीब में भेदभाव नहीं करता है और सभी को अपनी ज्ञान की रोशनी से रोशन करता है। जन्म, मरण एवं परण सभी भगवान के हाथ में है। मनुष्य की देह बहुत मुश्किल से मिलती है। आज जो जीवन हमें मिला है उसे व्यर्थ ना गवाएं। छोटे-छोटे बच्चों को संस्कारित कर राष्ट्रहित की सोच के साथ अपने सनातनी धर्म की ओर अग्रसर करें। इस संसार में गुरु चमत्कार करने वाला नहीं भगवान से मिलाने वाला होना चाहिए। भगवान शिव पर भरोसा और विश्वास रखो। चमत्कार तो कुछ दिनों चलता है, लेकिन भगवान शिव को नमस्कार करने वाला हमेशा मस्त रहता है। हमें भक्त की तरह भक्ति करना चाहिए। हम पर एक अंश मात्र भी भगवान शिव की उदारता, करुणा होती है तो हमारा जीवन सफल हो जाता है। उन्होंने मनुष्य देह के बारे में विस्तार से वर्णन करते हुए कहाकि नेत्र, वाणी और श्रवण करने की शक्ति हमें ईश्वर के द्वारा प्रदान की गई है। उन्होंने लगाव और विश्वास का वर्णन करते हुए कहाकि आपको परिवार और संसार से लगाव रखते हुए भगवान पर विश्वास करते रहना चाहिए।