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सीहोर : मत चूके चौहान : फलदार बगीचे की उन्नत किस्मों का चयन कर नया बगीचा बनाने का यह सही समय

खेती-किसानी

मत चूके चौहान : फलदार बगीचे की उन्नत किस्मों का चयन कर नया बगीचा बनाने का यह सही समय

सीहोर,19 अगस्त,2025
एमपी मीडिया पॉइंट

फलदार पौधे आम, अमरूद, आंवला, नींबू, वेर, पपीता आदि लगाने के लिए अगस्त माह उपयुक्त समय है। किसान इसका लाभ उठा सकते हैं।

कृषि वैज्ञानिक के अनुसार गर्मी के दिनों में किये गये गड्डों में वर्षा प्रारंभ के पूर्व गोबर की खाद 15-20 किग्रा, सुपर फास्फेट 100 ग्राम व क्लोरोपाइरीफॉस 50 ग्राम व नीम की खली 1 किग्रा प्रति गड्डा में मिलाकर भर दें। फलदार पौध का चयन क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी का प्रकार, औसत वर्षा, सड़क, साधन व बाजार व्यवस्था आदि के आधार पर करें। फलदार पौध कलमी व मध्यम बढ़वाकर का हो। जिले में स्थित सहायक संचालक उद्यानिकी कार्यालय से सम्पर्क कर फलदार बगीचा में अनुदान सम्बन्धी एवं तकनीकी जानकारी प्राप्त करें।

आम-फलदार पौधों की नवीनतम किस्म-

कृषि वैज्ञानिक के अनुसार दशहरी, लंगड़ा, आम्रपाली, हापुस, केसर, चौंसा। आंवला एन.ए.-7, एन.ए.-8, चकैया, कृष्णा, कंचन। अमरूद एल.-49, इलाहावादी सफेदा, चित्तीदार, व्ही. एन. आर.-7 अनार भगवा, गणेश, सिंदूरी बेर गोला, उमराव नींबू- कागजी लाईम, साई सरबती संतरा नागपुरी सन्तरा, किञ् सीताफल- अर्काश्यान, बालानगर। फलदार पौध लगाते समय सावधानी-फलदार पौध रोपण हमेशा शाम के समय करें, पौध लगाने के बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें एवं पौध लगाने के पूर्व लिपटी हुई घास व पॉलीथीन के थैली अवश्य निकालें, निंदाई-गुड़ाई एवं जल निकास की उपयुक्त व्यवस्था करें। वाड़ लगाना- फलदार पौध लगाने के पूर्व उसकी सुरक्षा हेतु खेत के चारों ओर वाड़ लगाना उपयुक्त होगा। वाड़ लगाने के लिये खेत के चारों ओर कटीले तार या कटीली झाडियां, करौंदा, निगुर्णी, मेहंदी, नागफनी आदि की चार दीवारी लगायी जा सकती है।

कृषि वैज्ञानिक के अनुसार वायुरोधक पेड़-फलदार पौध लगाने के पूर्व बगीचे के उत्तर पश्चिम दिशा में लम्बे व शीघ्र बढ़ने वाले वायुरोधक वृक्ष शीशम, जामुन, बेल, लडोसा, शहतूत, खिरनी, इमली, करौंदा आदि लगायें। प्रो-ट्रे तकनीक से सब्जी पौध उत्पादन- सब्जियों टमाटर, भटा, मिर्च, बैंगन आदि की पौध तैयार करने के लिए प्रो-ट्रे का उपयोग करें। प्रो-ट्रे में बीजो का जमाव व अंकुरण अच्छा होता है एवं पौध की बढ़वाकर भी अच्छी होती है। प्रो-ट्रे के लिये कोकोपिट, वर्मी कुलाइट, वर्मीकम्पोस्ट, बालू इत्यादि क बीजों को लगाने के प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार एक प्रो-ट्रे का 4-5 बार प्रयोग किया जा सकता है।

राजेश शर्मा

राजेश शर्मा मप्र से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के हिंदी दैनिक अख़बारों- दैनिक भास्कर नवभारत, नईदुनिया,दैनिक जागरण,पत्रिका,मुंबई से प्रकाशित धर्मयुग, दिनमान के पत्रकार रहे, करीब पांच शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक चैनलों में भी बतौर रिपोर्टर के हाथ आजमाए। वर्तमान मे 'एमपी मीडिया पॉइंट' वेब मीडिया एवं यूट्यूब चैनल के प्रधान संपादक पद पर कार्यरत हैं। आप इतिहासकार भी है। श्री शर्मा द्वारा लिखित "पूर्वकालिक इछावर की परिक्रमा" इतिहास एवं शोध पर आधारित है। जो सीहोर जिले के संदर्भ में प्रकाशित पहली एवं बेहद लोकप्रिय एकमात्र पुस्तक में शुमार हैं। बीएससी(गणित) एवं एमए(राजनीति शास्त्र) मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के पश्चात आध्यात्म की ओर रुख किए हुए है। उनके त्वरित टिप्पणियों,समसामयिक लेखों,व्यंगों एवं सम्पादकीय को काफी सराहा जाता है। सामाजिक विसंगतियों, राजनीति में धर्म का प्रवेश,वंशवाद की राजसी राजनिति जैसे स्तम्भों को पाठक काफी दिलचस्पी से पढतें है। जबकि राजेश शर्मा खुद अपने परिचय में लिखते हैं कि "मै एक सतत् विद्यार्थी हूं" और अभी तो हम चलना सीख रहे है..... शैलेश तिवारी

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