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बाल विवाह मुक्त मध्यप्रदेश’ : क्या सरकार भी ‘शयन’कर रही थी ?- राजेश शर्मा

कागज़ पर योजना दौड़ेगी, मंडप में होंगे बाल लाडा-लाडी !!

‘बाल विवाह मुक्त मध्यप्रदेश’ : क्या सरकार भी ‘शयन’ कर रही थी ?

त्वरित विचार.                                                   राजेश शर्मा

मध्यप्रदेश शासन की मंत्री महोदया सुश्री निर्मला भूरिया की ओर से एक संदेश के साथ फरमान जारी हुआ है कि शनिवार एक नवंबर को देव उठनी ग्यारस पर बाल विवाह रोकथाम के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। इस विषय में प्रदेशभर के उच्चाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। परिपालन में शासन के महिला एवं बाल विकास सहित विभिन्न विभागों में टीमें भी गठित कर दी गई हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह विशेष अभियान देव उठनी एकादशी पर ही क्यों ?, क्या इस मामले में सरकार भी देवशयनी एकादशी 06 जुलाई 2025 से ‘शयन’ फरमा रही थी।
क्या सभी धर्मावलंबियों के घर विवाह संपन्न नहीं हो रहे थे…
सरकार तो वर्षभर जागने,सचेत,सक्रिय रहने के लिए बनी है। जुलाई से लेकर अक्तूबर तक संपन्न हुए बाल विवाह के लिए दोषी कौन-कौन हैं? उसके जवाबदेही के लिए किसको खड़ा किया जाए।

यह सर्वदा सत्य है कि बाल विवाह प्रथा पूरी तरह गलत है और इसकी रोकथाम के लिए चौतरफा प्रभावी प्रयास किए जाना चाहिए,सरकार के साथ सामाजिक-धार्मिक संगठनों को भी आगे आना चाहिए और ऐसा पिछले 5 -7 वर्षों से देखने में भी आ रहा है। लेकिन यह सब प्रयास के सार्थक परिणाम तभी संभव है जब 12 महिने ही अभियान पुरजोर तरीके से जारी रखा जाए क्योंकि आज भी बहुत से समाज चाहे वो किसी भी धर्म के हों, ऐसे हैं कि अपने हिसाब के मुहूर्त में विवाह आयोजन जारी रखते हैं जिन्हें देवशयनी या देवउठनी एकादशी से कोई ताल्लुक नहीं है। सरकार की अनदेखी के कारण बिना रोक टोक के बाल विवाह आसानी के साथ संपन्न होते जाते हैं। जन्म प्रमाण पत्र के आज भी जिंदा जादू देखे जा सकते हैं। और तो और शासन के सामुहिक विवाह सम्मेलनों को तमाशा बना रखा है। योजना का आर्थिक लाभ हथियाने दो-दो बार शादियां हो रही हैं। जिन पर किसी की निगाह नहीं है।

उधर महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने अपने संदेश में कहा कि “बाल विवाह न केवल एक कुप्रथा है, बल्कि यह बच्चियों के अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और उनके उज्ज्वल भविष्य के साथ अन्याय है। सरकार, समाज और परिवार सभी को मिलकर इसे रोकने के लिए प्रयास करने होंगे ताकि ‘बाल विवाह मुक्त मध्यप्रदेश’ का संकल्प साकार हो सके।…. यह सही भी है। देखा जाए तो देव उठनी एकादशी के बाद पारंपरिक रूप से विवाह समारोहों का शुभ मुहूर्त प्रारंभ होता है, ऐसे समय में बाल विवाह की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेशभर में सतर्कता बढ़ाई गई है लेकिन जब सतर्कता फ़ना ही थी, तो उसे बढ़ाया कैसे जा सकता है। बस अभियान फिर से चलाया जा सकता है। कहा जा सकता है कि कथित इस सत्र में प्रत्येक ग्राम और वार्ड में सूचना दलों का गठन किया जा रहा है, जिनमें शिक्षक, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, स्वसहायता समूह की सदस्य, शौर्यादल की अध्यक्ष, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, पंचायत प्रतिनिधि और समाज के जागरूक नागरिक शामिल हैं। ये दल विवाहों की जानकारी रखेंगे और किसी भी संदिग्ध बाल विवाह की सूचना तुरंत कंट्रोल रूम या बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को देंगे।

जानकारी के अनुसार राज्य के सभी जिलों में 24 घंटे कंट्रोल रूम स्थापित कर दिए गए हैं। बाल विवाह की सूचना पर तत्काल कार्रवाई के लिए उड़न दस्ते भी तैनात किए गए हैं। विभाग ने परियोजना और आंगनवाड़ी स्तर पर जनजागरूकता कार्यक्रम शुरू किए हैं जिनमें जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, धार्मिक संस्थाओं और आम नागरिकों से बाल विवाह रोकथाम में सहयोग का आह्वान किया गया है लेकिन ऐसा देखने में आना और करके दिखाने में भारी अंतर है। एक नवंबर से कम उम्र में विवाह के दुष्परिणामों को बताया जाएगा। इसके पूर्व अभियान क्यों कमजोर था, ये कौन बताएगा…?

भारत सरकार द्वारा 2025 तक बाल विवाह की दर को 23.3 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने और 2030 तक देश को पूरी तरह बाल विवाह मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 एवं मध्यप्रदेश बाल विवाह प्रतिषेध नियम, 2007 के अंतर्गत बाल विवाह करना या कराना दण्डनीय अपराध है, जिसमें दोषियों को सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। लेकिन अभियान की तबियत नरम-गरम चली तो, कागज़ पर ही दौड़ता रहा तो….बाल विवाह के मंडप इस वर्ष भी सजे-धजे दिखाई दे सकते हैं और कानून-कागदे कोने में।

राजेश शर्मा

राजेश शर्मा मप्र से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के हिंदी दैनिक अख़बारों- दैनिक भास्कर नवभारत, नईदुनिया,दैनिक जागरण,पत्रिका,मुंबई से प्रकाशित धर्मयुग, दिनमान के पत्रकार रहे, करीब पांच शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक चैनलों में भी बतौर रिपोर्टर के हाथ आजमाए। वर्तमान मे 'एमपी मीडिया पॉइंट' वेब मीडिया एवं यूट्यूब चैनल के प्रधान संपादक पद पर कार्यरत हैं। आप इतिहासकार भी है। श्री शर्मा द्वारा लिखित "पूर्वकालिक इछावर की परिक्रमा" इतिहास एवं शोध पर आधारित है। जो सीहोर जिले के संदर्भ में प्रकाशित पहली एवं बेहद लोकप्रिय एकमात्र पुस्तक में शुमार हैं। बीएससी(गणित) एवं एमए(राजनीति शास्त्र) मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के पश्चात आध्यात्म की ओर रुख किए हुए है। उनके त्वरित टिप्पणियों,समसामयिक लेखों,व्यंगों एवं सम्पादकीय को काफी सराहा जाता है। सामाजिक विसंगतियों, राजनीति में धर्म का प्रवेश,वंशवाद की राजसी राजनिति जैसे स्तम्भों को पाठक काफी दिलचस्पी से पढतें है। जबकि राजेश शर्मा खुद अपने परिचय में लिखते हैं कि "मै एक सतत् विद्यार्थी हूं" और अभी तो हम चलना सीख रहे है..... शैलेश तिवारी

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