
सावधान ! आपके पितृ अभी आपके पास हैं कहीं श्रद्धा में कमी ना रह जाए…
विशेष
राजेश शर्मा
पितृपक्ष चल रहा है। श्रद्धा पर यह 16 दिवसीय ऐसा समय है जब आपके पूर्वज आपको एक बार फिर संकट और विपदाओं से संभलने का मौका देते हैं, आप के साथ रहते है। यदि वे रुठे हैं तो आप उनको श्रद्धा के साथ किये गए धर्म,कर्म,दान,तप आदि से मना सकते हैं और उनकी नाराजगी दूर कर सकते हैं।
आधुनिक युग में संस्कृति,सभ्यता और संस्कार समय की व्यस्तता के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। आप देख सकते हैं कि ज्यादातर लोग परेशान हैं। कोई दुकान से,कोई मकान से, कोई बीमारी से, कोई अपनों के व्यवहार से,कोई प्रियजन के बिछोह से,कोई अदालती चक्करों से तो कोई तलाक आदि से परेशान चल रहे है।
किसी घर में बच्चे अनुशासनहीन हो गए हैं। बच्चे पढ़ लिख गए हैं तो रोजगार नहीं मिल रहा और यदि मिल भी गया तो धंधा ठंडा पड़ा है या घाटे में चल रहा है। नौकरी में रुकावटें खड़ी हो रही हैं। संस्थान पर संस्थान बदलना पड़ रहा है।
यह सब हालात बताते हैं कि आपके सितारे गर्दिश में होने का एक कारण ‘पितृ दोष’ भी हो सकता है। आप आपके पितरों के आशीर्वाद से वंचित चल रहे हैं। गाहे-बगाहे आप से उनके प्रति लगातार चूक हो रही है। जब आप पिता एवं परिवार के अन्य सदस्यों को जीते-जी सम्मान नहीं दे सके, उनका ध्यान नहीं रख सके और आप उन्हें हमेशा “आउट ऑफ डेट” मानते रहे। और अब भी आप उनकी मृत्युपरांत उन्हें आवश्यक सेवाएं,सम्मान,ध्यान आदि नहीं दे पा रहे हैं तो मान लीजिए कि आप सौ फीसदी ‘पितृदोष’ से ग्रसित चल रहे हैं। और जीवन में मृत्यु तुल्य कष्ट भोग रहे हैं।
हमारे शास्त्रों में हर दोष का निवारण बताया गया है। आप उज्जैन (मंगलनाथ) या नासिक (त्रयंबकेश्वर) में पहुंचकर किसी जानकार,अनुभवी पण्डित के सानिध्य में पितृदोष का निवारण करा सकते हैं। इसके अलावा भी 16 श्राद्ध में आप ऐसा उपाय घर बैठे भी कर सकते हैं जिससे आपके पितृ तृप्त हो सकते हैं। उन उपायों की जानकारी जो मेरे पास है वह आपके साथ साझा कर रहा हूं…
आप श्रद्धा से पितृ तिथि पर पिंड दान कीजिए,अन्न,वस्त्र,अर्थ का यथाशक्ति दान करें,ब्राह्मण, कौए,श्वान,गो माता को उनके पसंदानुसार भोजन कराएं। बरगद के पेड़ पर काले तिल से मिले जल का अर्घ चढ़ाएं,शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक लगाएं,जल चढ़ाएं,शाम को दक्षिण दिशा में दीप जलाकर रखें। आपको लाभ होगा। इसके अलावा मध्यरात्रि में गलत विचारों से दूर रहें। हो सके तो इस दौरान अपने पितृों का पुण्य स्मरण करते रहें। यकीन मानिये पितृों के आशीर्वाद का चमत्कारिक दृश्य आप खुद अपनी आंखों से चंद दिनों में ही देखना आरंभ कर देंगे।
साथ ही हम आगाह करते हैं कि टोने-टोटकों से दूर रहें। दिखावटी एवं पाखण्डी पण्डितों की सलाह से बचें। प्रखाण्ड विद्वानों से मार्गदर्शन प्राप्त करते रहें। अच्छे विचारों से आत्मा को प्रतिदिन स्नान कराना दिनचर्या में शामिल करें।