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पुलिस प्रशासन और सरकार की नहीं बल्कि पूरे समाज की विफलता है इंदौर की घटना

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इंदौर की घटना बनी राजनीति का नया मैदान, महिला सुरक्षा बनाम राजनीतिक बयानबाज़ी का खेल

पुलिस प्रशासन और सरकार की नहीं बल्कि पूरे समाज की विफलता है यह घटना

इंदौर जिसे देश ”स्वच्छता की राजधानी” के रूप में जानता है, आज एक दुर्भाग्यपूर्ण कारण से सुर्खियों में है

महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है कैलाश विजयवर्गीय का बयान

विजया पाठक,भोपाल
एडिटर, जगत विजन

क्रिकेट वर्ल्ड कप खेलने आई ऑस्ट्रेलिया की महिला खिलाड़ी के साथ हुई अभद्रता ने न केवल खेल भावना को आहत किया है बल्कि इसने मध्यप्रदेश की छवि और पुलिस व्यवस्था पर भी गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। जो घटना खेल के मैदान से जुड़ी होनी चाहिए थी वह अब राजनीति के अखाड़े में परिवर्तित हो चुकी है। ऑस्ट्रेलिया की महिला क्रिकेटर वर्ल्ड कप मैच के बाद इंदौर के एक बाजार में पहुंची थीं जहाँ कुछ युवकों ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया। मामला जैसे ही सामने आया प्रदेश का माहौल गर्मा गया। पुलिस ने पहले तो घटना को छोटी गलतफहमी बताकर टालने की कोशिश की लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो ने यह साफ कर दिया कि घटना गंभीर है और सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन भी हुआ है। यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि जब विदेशी खिलाड़ियों की सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रोटोकॉल के तहत होती है तो आखिर एक विदेशी महिला खिलाड़ी कैसे बिना सुरक्षा घेरे के खुले बाजार तक पहुंच गई। क्या यह पुलिस प्रशासन की चूक थी या प्रोटोकॉल का उल्लंघन।

प्रशासनिक विफलता और लीपापोती की कोशिश

घटना के बाद पुलिस प्रशासन की प्रतिक्रिया ने सवालों को और बढ़ा दिया। पहले तो पुलिस ने कहा कि खिलाड़ी अकेले नहीं थीं। बाद में कहा गया कि गलतफहमी हुई और जब मामला मीडिया में फैल गया तो लीपापोती शुरू हो गई। इंदौर पुलिस अब यह साबित करने में लगी है कि घटना उतनी बड़ी नहीं जितनी दिखाई जा रही है”परंतु प्रश्न यह नहीं है कि घटना कितनी बड़ी थी। प्रश्न यह है कि ऐसी घटना हुई क्यों। प्रदेश की कानून व्यवस्था और विशेषकर महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के दावे इस एक घटना से कमजोर होते दिखे हैं।

राजनीति ने पकड़ा तूल

मामला और भी गरम तब हुआ जब प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस घटना पर बयान दिया। विजयवर्गीय ने कहा था ऐसी घटनाएँ राज्य की छवि को धूमिल करती हैं। इसलिए पुलिस को और सतर्क रहना चाहिए। उनका यह बयान राज्य की छवि को लेकर चिंता का प्रतीक था। लेकिन कांग्रेस ने इसे महिला खिलाड़ी के प्रति असंवेदनशीलता बताकर राजनीतिक रंग दे दिया। बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया और सोशल मीडिया पर इसे महिला विरोधी टिप्पणी के रूप में प्रचारित किया गया। राजनीति के इस नए मोड़ ने मुद्दे को पूरी तरह महिला सुरक्षा से हटाकर बयानबाज़ी की लड़ाई में बदल दिया। जहां एक ओर भाजपा नेता यह कह रहे हैं कि विजयवर्गीय का आशय प्रशासन की लापरवाही को इंगित करना था वहीं कांग्रेस ने इसे राज्य सरकार की महिला सुरक्षा के प्रति लापरवाही से जोड़ दिया।

खेल सुरक्षा और जिम्मेदारी

यह कोई पहला मौका नहीं है जब महिला खिलाड़ियों के साथ ऐसी घटना घटी हो। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लंदन] सिडनी] जोहान्सबर्ग और दिल्ली जैसे शहरों में विदेशी महिला खिलाड़ियों या पर्यटकों के साथ अभद्रता की घटनाएँ हो चुकी हैं। परंतु जब ऐसा किसी खेल आयोजन से जुड़े व्यक्ति के साथ होता है तो इसका प्रभाव केवल स्थानीय नहीं रहता बल्कि देश की वैश्विक छवि और खेल कूटनीति पर भी पड़ता है। इंदौर में घटी यह घटना भारत के लिए एक कूटनीतिक और छवि-संबंधी चुनौती बन सकती है। यह समय है जब भारत खेल पर्यटन और निवेश के माध्यम से ग्लोबल इमेज मजबूत करने की दिशा में बढ़ रहा है। ऐसे में इस प्रकार की घटनाएँ सॉफ्ट पावर के लिए खतरा हैं।

व्यवहारिक संवेदनशीलता की आवश्यकता

सरकार ने महिला सुरक्षा के लिए कई योजनाएँ चलाई हैं 108 महिला हेल्पलाइन महिला थाना सेफ सिटी प्रोजेक्ट सीसीटीवी निगरानी व्यवस्था और नारी शक्ति मिशन जैसी पहलें। फिर भी जब कोई विदेशी महिला खिलाड़ी बाजार में असुरक्षित महसूस करती है तो यह दर्शाता है कि प्रणालियाँ मौजूद तो हैं पर संवेदनशीलता का अभाव है। महिला सुरक्षा केवल कानून और हेल्पलाइन से नहीं आती वह आती है सामाजिक मानसिकता में परिवर्तन से और यही वह पहलू है जहाँ सरकार और समाज दोनों को आत्ममंथन करना चाहिए।

संवेदनशील मुद्दे पर तुष्टिकरण नहीं समाधान आवश्यक

राजनीतिक दलों का यह कर्तव्य है कि वे ऐसे मुद्दों को संवेदनशीलता से संभालें परंतु वर्तमान परिदृश्य में यह घटना भी राजनीतिक लाभ के खेल में तब्दील हो गई है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने इसे राजनीतिक हथियार बना लिया जहाँ एक पक्ष प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर रहा है तो दूसरा पक्ष बयान की गलत व्याख्या पर सफाई दे रहा है। इस बीच असली सवाल महिला सुरक्षा की जमीनी हकीकत और विदेशी मेहमानों की सुरक्षा व्यवस्था कहीं गुम हो गया है।

इंदौर की पहचान स्वच्छता से संवेदनशीलता की ओर

इंदौर ने स्वच्छता के क्षेत्र में लगातार सात बार देश का नाम रोशन किया है। अब आवश्यकता है कि वह सुरक्षा और संवेदनशीलता की राजधानी बने। यह तभी संभव है जब प्रशासनिक तत्परता के साथ-साथ नागरिक चेतना भी जागे। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों और पर्यटकों के लिए सुरक्षा के विशेष प्रोटोकॉल बनाए और उनका पालन सुनिश्चित करे।

खेल भावना की पुनर्स्थापना

इंदौर की यह घटना एक चेतावनी है कि महिला सुरक्षा और प्रशासनिक सजगता किसी भी राज्य की छवि के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। डॉ. मोहन यादव सरकार ने हाल ही में नारी शक्ति मिशन के तहत महिला सम्मान और सुरक्षा के कई अभियान शुरू किए हैं परंतु इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कानून से अधिक जरूरी है उसका पालन और क्रियान्वयन। राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे इस घटना को राजनीतिक हथियार नहीं बल्कि सामाजिक सुधार का अवसर मानें। कैलाश विजयवर्गीय का बयान चाहे जिस रूप में लिया गया हो मूल मुद्दा यही है अगर एक विदेशी महिला खिलाड़ी हमारे देश में असुरक्षित महसूस करती है तो यह केवल सरकार की नहीं पूरे समाज की विफलता है।

राजेश शर्मा

राजेश शर्मा मप्र से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के हिंदी दैनिक अख़बारों- दैनिक भास्कर नवभारत, नईदुनिया,दैनिक जागरण,पत्रिका,मुंबई से प्रकाशित धर्मयुग, दिनमान के पत्रकार रहे, करीब पांच शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक चैनलों में भी बतौर रिपोर्टर के हाथ आजमाए। वर्तमान मे 'एमपी मीडिया पॉइंट' वेब मीडिया एवं यूट्यूब चैनल के प्रधान संपादक पद पर कार्यरत हैं। आप इतिहासकार भी है। श्री शर्मा द्वारा लिखित "पूर्वकालिक इछावर की परिक्रमा" इतिहास एवं शोध पर आधारित है। जो सीहोर जिले के संदर्भ में प्रकाशित पहली एवं बेहद लोकप्रिय एकमात्र पुस्तक में शुमार हैं। बीएससी(गणित) एवं एमए(राजनीति शास्त्र) मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के पश्चात आध्यात्म की ओर रुख किए हुए है। उनके त्वरित टिप्पणियों,समसामयिक लेखों,व्यंगों एवं सम्पादकीय को काफी सराहा जाता है। सामाजिक विसंगतियों, राजनीति में धर्म का प्रवेश,वंशवाद की राजसी राजनिति जैसे स्तम्भों को पाठक काफी दिलचस्पी से पढतें है। जबकि राजेश शर्मा खुद अपने परिचय में लिखते हैं कि "मै एक सतत् विद्यार्थी हूं" और अभी तो हम चलना सीख रहे है..... शैलेश तिवारी

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