बिहार विधानसभा चुनाव : गठबंधन के लड़खड़ाते समीकरण, कांग्रेस ने दिया नौ सीटों का बलिदान
बिहार विधान सभा चुनाव- 2025

बिहार विधानसभा चुनाव : गठबंधन के लड़खड़ाते समीकरण, कांग्रेस ने दिया नौ सीटों का बलिदान
पटना, 22 अक्तूबर 2025
मीडिया रिपोर्ट
बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तालमेल एनडीए के हटकों का पलड़ा कुछ हल्का नज़र आ रहा है। एनडीए के सभी घटक दलों की सीटें पिछले चुनाव की तुलना में कम हुई हैं, जबकि महागठबंधन में वाम दलों और वीआईपी पार्टी को इस बार फायदा हुआ है।
पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए की ओर से जदयू को 115 और बीजेपी को 110 सीटें दी गई थीं, लेकिन इस बार दोनों प्रमुख दलों को बराबर 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ना है. यानी जदयू की 14 और बीजेपी की 9 सीटें घट गई हैं. सहयोगी दलों को समायोजित करने के लिए बीजेपी-जदयू ने कुल 23 सीटें छोड़ी हैं. एनडीए के अन्य घटक दलों की स्थिति भी कुछ बेहतर नहीं है. जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ को पिछली बार सात सीटें मिली थीं, जो इस बार घटकर छह रह गई हैं.
किस-किस के हिस्से में कितनी सीटें,और कौन लड़ेगा कहां से चुनाव…
वहीं उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ‘रालोमो’ (पूर्व में रालोसपा) को एनडीए में छह सीटें मिली हैं. पिछली बार उन्होंने एनडीए और महागठबंधन दोनों से अलग होकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट बनाया था, जिसमें उन्हें 104 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था. इस बार एनडीए में चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की भी वापसी हुई है. पिछली बार एनडीए से अलग होकर लोजपा (रा) ने 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जबकि अब गठबंधन में शामिल होने के बाद उसे 29 सीटें मिली हैं.
महागठबंधन में वीरगति को प्राप्त हुई कांग्रेस की नौ सीटें
दूसरी ओर, महागठबंधन में सीटों की लड़ाई और समझौते का दौर भी लंबा चला. अंतिम सूची के अनुसार, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को इस बार 143 सीटें मिली हैं, जो पिछली बार की तुलना में केवल एक कम हैं. राजद ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. कांग्रेस को इस बार 61 सीटें दी गई हैं, जबकि पिछली बार वह 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. यानी कांग्रेस ने महागठबंधन में सबसे ज्यादा नौ सीटों का बलिदान दिया है.
तुलनात्मक दृष्टिकोण से वाम दलों की स्थिति बेहतर
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वाम दलों की स्थिति इस बार पहले से बेहतर हुई है. 2020 में महागठबंधन की ओर से वाम दलों (भाकपा-माले, सीपीआई और सीपीएम) को कुल 29 सीटें दी गई थीं. लेकिन इस बार यह संख्या बढ़कर 35 हो गई है. भाकपा-माले 19 की जगह 20 सीटों पर, सीपीआई छह की जगह नौ सीटों पर और सीपीएम चार की जगह छह सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
दोनों ही गठबंधनों में नए दलों ने कराई आमद दर्ज
महागठबंधन में इस बार ‘विकासशील इंसान पार्टी’ (वीआईपी) भी शामिल हुई है, जिसे पहले एनडीए से 11 सीटें मिली थीं, जबकि अब महागठबंधन में उसे 15 सीटों पर चुनाव लड़ने का अवसर मिला है.
दिलचस्प बात यह है कि इस बार दोनों ही गठबंधनों में नए दलों की आमद हुई है. एनडीए ने जहां लोजपा (रा) के लिए जगह बनाई है, वहीं महागठबंधन ने वीआईपी को साथ लिया है. हालांकि, सीट बंटवारे में असंतोष और आपसी भिड़ंत की स्थिति दोनों गठबंधनों में देखी जा रही है. कुल मिलाकर, बिहार के इस चुनावी समर में वाम दलों और वीआईपी के हिस्से में जहां लाभ आया है, वहीं एनडीए को सीटों के समीकरण में नुकसान उठाना पड़ा है. अब निगाह तो इस बात पर टिकी हुई है कि चुनावी नतीजों का गणित किसके पक्ष में बैठता है – ‘महागठबंधन या एनडीए’.