पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के डर से हजारों पाकिस्तानी सैनिकों ने दिए इस्तीफे, लीक डॉक्यूमेंट से हुआ बड़ा खुलासा
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पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के डर से हजारों पाकिस्तानी सैनिकों ने दिए इस्तीफे, लीक डॉक्यूमेंट से हुआ बड़ा खुलासा
नेशनल डेस्क
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार
भारत के साथ युद्ध की आशंका के चलते पाकिस्तानी सेना में इस्तीफे और पलायन की घटनाओं में तेजी आई है। पाकिस्तानी सेना के जनरल हेडक्वार्टर (GHQ), रावलपिंडी से जारी एक गोपनीय सलाह (Advisory No: ISPR/OPS/2025/04/028) में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है कि पहलगाम की घटना के बाद सेना के जवानों में भय फैल गया है और बड़े पैमाने पर इस्तीफे और सेवा त्याग के अनुरोध सामने आ रहे हैं।
यह सलाह, जिसे मेजर जनरल फैसल महमूद मलिक, HI(M), डीजी ISPR ने जारी किया है, सेना के सभी रैंकों के अधिकारियों और जवानों को संबोधित करते हुए जारी की गई है। इसमें बताया गया है कि यह स्थिति “भ्रामक सूचना” (disinformation) के कारण पैदा हुई है, जिसका उद्देश्य सेना के मनोबल, एकता और ईमान (आस्था) को कमजोर करना है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की संभावित सख्त कार्रवाई से पाकिस्तान में भारी हड़कंप मच गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय सेना के जवाबी एक्शन के डर से पाकिस्तान के करीब 1200 सैनिकों ने इस्तीफा दे दिया है। पाकिस्तानी सेना में इस्तीफों की होड़ लग गई है और सेना का मनोबल लगातार गिर रहा है। सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि भारत की सख्ती ने पाकिस्तान के भीतर चिंता की लहर दौड़ा दी है। इधर भारत ने सीमा पर चौकसी बढ़ा दी है और आतंक के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने की तैयारी में है।
निर्देश जारी: कड़ी कार्रवाई की चेतावनी
इस एडवाइजरी में सेना के जवानों के लिए तीन मुख्य निर्देश जारी किए गए हैं:
शपथ का पालन करें: जवानों को याद दिलाया गया है कि एक मुजाहिद के रूप में उनका कर्तव्य राष्ट्र की रक्षा करना है, जो एक पवित्र जिम्मेदारी है। उन्हें डर को नकारने और मजबूती से खड़े रहने को कहा गया है।
मनोबल बनाए रखें: एडवाइजरी में इस बात पर जोर दिया गया है कि सेना को हर हाल में युद्ध के लिए तैयार रहना है। ‘ऑपरेशन स्विफ्ट रिटोर्ट’ जैसी कार्यवाहियों का हवाला देते हुए कमांडिंग ऑफिसरों को दरबार (बैठक) आयोजित कर सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
अनुशासन बनाए रखें: बिना अनुमति इस्तीफा देने या सेना छोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। ऐसे मामलों में ‘पाकिस्तान आर्मी एक्ट, 1952’ के तहत कड़ी सजा दी जाएगी।
एकता का आह्वान
एडवाइजरी के अंत में जवानों को शहीदों की विरासत का वारिस बताते हुए एकता बनाए रखने का आह्वान किया गया है। उन्हें ‘क्रेसेंट और स्टार’ (चाँद और सितारे) के प्रतीक के नीचे संगठित रहने का संदेश दिया गया है।
पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे के साथ एडवाइजरी का समापन
मेजर जनरल फैसल महमूद मलिक के हस्ताक्षर और ‘पाकिस्तान जिन्दाबाद’ के नारे के साथ यह सलाह समाप्त होती है। यह दस्तावेज दर्शाता है कि सेना के उच्च अधिकारी स्थिति की गंभीरता को भलीभांति समझ रहे हैं और सैनिकों के बीच फैले असंतोष को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने की तैयारी में हैं।
पहलगाम घटना और बढ़ता तनाव
पहलगाम में जो घटना घटी, उसके बारे में अभी तक आधिकारिक विवरण नहीं दिया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकियों की किसी कार्रवाई ने भारत के साथ तनाव को खतरनाक स्तर तक बढ़ा दिया है। भारतीय सेना की कड़ी प्रतिक्रिया की आशंका से पाकिस्तानी सैनिकों के बीच भय का माहौल फैल गया है। सूत्रों के अनुसार, कई जवानों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सेवा त्यागने या स्थानांतरण के लिए आवेदन सौंपे हैं। हालांकि, सेना इसे ‘भ्रामक प्रचार’ करार दे रही है और सैनिकों को धैर्य और दृढ़ता बनाए रखने के लिए प्रेरित कर रही है।
सेना में मनोबल पर संकट
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान सेना को इस प्रकार के आंतरिक संकट का सामना करना पड़ा हो। विगत वर्षों में बलूचिस्तान और उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत में अलगाववादी हिंसा से निपटते समय भी सैनिकों का मनोबल डगमगाया था। लेकिन इस बार मामला भारत के साथ युद्ध की संभावना से जुड़ा होने के कारण और भी गंभीर हो गया है।
राजनीतिक हलकों में हलचल
पाकिस्तान के राजनीतिक हलकों में भी इस एडवाइजरी को लेकर खलबली मची हुई है। विपक्षी नेताओं ने सरकार और सेना नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब सैनिकों का ही मनोबल गिरा हुआ है तो देश की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी? कई विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि यदि इस्तीफों और पलायन की प्रवृत्ति को तुरंत नहीं रोका गया तो सेना की युद्ध क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।
भविष्य की राह
सेना ने भले ही सख्त चेतावनियाँ देकर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की है, लेकिन जमीनी हालात कुछ और कहानी बयां कर रहे हैं। यदि सैनिकों के बीच फैले असंतोष को गहराई से नहीं समझा गया और केवल अनुशासनात्मक कार्रवाई के जरिए दबाने की कोशिश की गई, तो यह अंदरूनी विद्रोह का रूप भी ले सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सेना को न केवल सख्ती, बल्कि संवाद और भरोसे के ज़रिए भी अपने जवानों के बीच भरोसा कायम करना होगा। अन्यथा, बाहरी खतरों के साथ-साथ भीतरी संकट भी पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।