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भारत के मुकाबले दुश्मन के पास 5 गुना अधिक विदेशी भंडार, इस मामले में पाकिस्तान की हालत नाजुक

अंतर्राष्ट्रीय

भारत के मुकाबले दुश्मन के पास 5 गुना अधिक विदेशी भंडार, इस मामले में पाकिस्तान की हालत नाजुक

एजेंसी : मौजूदा वैश्विक व्यवस्था में जिसके पास जितना डॉलर है वह उतना ही अधिक ताकतवर है. ऐसे में पूरी दुनिया के देश अपने पास डॉलर का भंडार बनाने में लगे हैं. भारत के पास इस सप्ताह विदेश मुद्रा भंडार गिरकर 638.67 अरब डॉलर हो गया है।

उधर, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी ‘अमेरिका को फिर से महान’ बनाने की कोशिश में लगे हैं. वह अमेरिका का आयात कम करना चाहते हैं, जिससे कि उसका डॉलर बाहर न जाए. इस कारण इस वक्त पूरी दुनिया में डॉलर को लेकर कत्लेआम मचा हुआ है.

इस सप्ताह भारत का विदेश मुद्रा भंडार 1.78 अरब डॉलर घट गया. बीते कुछ समय से अपना ये भंडार लगातार कम हो रहा है. बीते साल सितंबर में यह भंडार लबालब भरा था. उस वक्त कुल भंडार 704.89 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. अभी जो विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति है वह करीब 11 महीने में सबसे कम है. यह राशि इतनी है कि भारत किसी भी संकट में इस कोष से 90 फीसदी बाहरी कर्जों का भुगतान कर सकता है. साथ ही यह कोष भारत के 10-11 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है. इस हिसाब से देखें को भारत के पास इस वक्त विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति ठीक-ठाक है.

5.8 अरब डॉलर पर आ गया का भारत का भंडार
यह वही भारत है जब 1991 के यह विदेश मुद्रा भंडार गिरकर मात्र 5.8 अरब डॉलर पर आ गया था. इस कारण देश के सामने भुगतन संतुलन का संकट पैदा हो गया था. भारत को सोना गिरवी रखना पड़ा था. इसी संकट के बाद भारत ने अपनी आर्थिक नीतियां बदल. देश को उदारवादी अर्थव्यवस्था की राह पर चलना पड़ा.
खैर अब स्थिति बदल चुकी है. विदेश मुद्रा भंडार के मामले में भारत अब कंफर्टेबल स्थिति में है. लेकिन, हमारा पड़ोसी देश इस मामले में काफी मजबूत स्थिति में है. वह देश हमारा दुश्मन है. उसका नाम है चीन. चीन के पास भारत से पांच गुना अधिक विदेशी मुद्रा भंडार है. 2024 में चीन के पास 3202 अरब डॉलर का भंडार था. विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में वह दुनिया का सबसे मजबूत देश है. दूसरे नंबर पर जापान है. उसके पास भारत से करीब दोगुना 1300 अबर डॉलर का भंडार है. मौजूदा वक्त में चीन और जापान दुनिया में निर्यात आधारित अर्थव्यवस्थाएं हैं. इसी भंडार की वजह से चीन मौजूदा वर्ल्ड ऑर्डर में सैन्य के साथ आर्थिक ताकत है. वह इस वक्त अपने हिसाब से दुनिया के चलाने की ताकत रखता है.

उसके पास डॉलर का इतना भंडार कि वह अमेरिका के साथ पूरी दुनिया को चुनौती दे सकता है. वह इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है कि अमेरिका भी थर-थर कांपता है. डोनाल्ड ट्रंप भले ही चीन को चुनौती देने और उसके खिलाफ तरह-तरह के प्रतिबंध लगाने की बात करते हों लेकिन वास्तविकता यह है कि चीन का वह कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं. चीन से इंपोर्ट पर टैरिफ बढ़ाकर वह अपने ही देश में बेतहाशा महंगाई को बढ़ावा दे रहे हैं.

पाकिस्तान की हालत नाजुक

भारत और चीन की बात हो रही तो पाकिस्तान की भी थोड़ी बात कर लेते हैं. इसका विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 15-16 बिलियन डॉलर है. इस कारण यह मुल्क आर्थिक रूप से दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुका है. वह अपने बाहरी कर्जों को समय पर भुगतान भी करने की स्थिति में नहीं है. विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में जापान के बाद तीसरे नंबर पर स्वीट्जरलैंड है. इसके पास 950 से 1000 बिलियन डॉलर का भंडार है. चौथे नंबर पर भारत है. पांचवें नंबर पर रूस है. उसके पास करीब 600 अरब का विदेशी मुद्रा भंडार है. लेकिन, रूस अपना काफी व्यापार रूबल में करता है. अमेरिकी और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से इतर वह अपने करीबी देशों के साथ स्थानीय मुद्रा में काफी व्यापार करता है.

राजेश शर्मा

राजेश शर्मा मप्र से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के हिंदी दैनिक अख़बारों- दैनिक भास्कर नवभारत, नईदुनिया,दैनिक जागरण,पत्रिका,मुंबई से प्रकाशित धर्मयुग, दिनमान के पत्रकार रहे, करीब पांच शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक चैनलों में भी बतौर रिपोर्टर के हाथ आजमाए। वर्तमान मे 'एमपी मीडिया पॉइंट' वेब मीडिया एवं यूट्यूब चैनल के प्रधान संपादक पद पर कार्यरत हैं। आप इतिहासकार भी है। श्री शर्मा द्वारा लिखित "पूर्वकालिक इछावर की परिक्रमा" इतिहास एवं शोध पर आधारित है। जो सीहोर जिले के संदर्भ में प्रकाशित पहली एवं बेहद लोकप्रिय एकमात्र पुस्तक में शुमार हैं। बीएससी(गणित) एवं एमए(राजनीति शास्त्र) मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के पश्चात आध्यात्म की ओर रुख किए हुए है। उनके त्वरित टिप्पणियों,समसामयिक लेखों,व्यंगों एवं सम्पादकीय को काफी सराहा जाता है। सामाजिक विसंगतियों, राजनीति में धर्म का प्रवेश,वंशवाद की राजसी राजनिति जैसे स्तम्भों को पाठक काफी दिलचस्पी से पढतें है। जबकि राजेश शर्मा खुद अपने परिचय में लिखते हैं कि "मै एक सतत् विद्यार्थी हूं" और अभी तो हम चलना सीख रहे है..... शैलेश तिवारी

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